बलिया जिला अस्पताल में नए टैबलेट की व्यवस्था से बदलेंगे मेडिकल रिपोर्ट बनाने के तरीके

बलिया जिला अस्पताल में नए टैबलेट की व्यवस्था से बदलेंगे मेडिकल रिपोर्ट बनाने के तरीके

मारपीट, पॉक्सो और अन्य मामलों में पीड़ितों के मेडिकल रिपोर्ट बनाने के लिए अस्पतालों में एक नया कदम उठाया गया है। जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सकों को अब मेडिकल रिपोर्ट बनाने के लिए ईएमओ (इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर) के पास टैबलेट उपलब्ध कराए गए हैं। इस व्यवस्था से कोर्ट के आदेशों के तहत ऑनलाइन मेडिकल रिपोर्ट की प्रक्रिया को और तेज और सरल बनाने की कोशिश की जा रही है।

अभी के समय क्या है कठिनाईया

जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में कई प्रकार के मामलों का इलाज किया जाता है, जिनमें मारपीट, पॉक्सो (पॉक्सो एक्ट) और अन्य गंभीर मामलों के पीड़ितों को मेडिकल रिपोर्ट बनवाने के लिए भेजा जाता है। पहले, इन मेडिकल रिपोर्ट्स को तैयार करने और ऑनलाइन अपलोड करने का काम कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा किया जाता था। हालांकि, अतिरिक्त बजट की कमी के कारण, इमरजेंसी विभाग में एक स्थायी कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति नहीं हो पा रही थी।

इसी समस्या के समाधान के लिए, अस्पताल प्रशासन ने डाटा ऑपरेटरों की मदद ली थी। हालांकि, डाटा ऑपरेटर के पास पहले से ही दूसरा कार्य का काम होता था और उनका समय बहुत कम था। इस कारण से, वे अपनी ड्यूटी के बीच में इमरजेंसी में आकर रिपोर्ट अपलोड करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दे पाते थे। यही वजह थी कि कई बार मेडिकल रिपोर्ट समय पर अपलोड नहीं हो पाती थी, जिससे कोर्ट में आरोपियों पर कार्रवाई में परेशानी होती थी।

नई व्यवस्था का उद्देश्य

इन समस्याओं का समाधान करने के लिए जिला प्रशासन ने एक नई योजना शुरू की है। अब इमरजेंसी में तैनात चिकित्सकों को टैबलेट दिए जाएंगे, ताकि वे अपनी ड्यूटी के बाद ऑनलाइन मेडिकल रिपोर्ट बना सकें। इससे रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया और तेज होगी, और कंप्यूटर ऑपरेटर की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

इस नई व्यवस्था के लाभ

  1. टैबलेट के उपयोग से तेजी रिपोर्टिंग
    चिकित्सक, जो पहले मरीजों का इलाज करने में व्यस्त रहते थे, अब अपनी ड्यूटी समाप्त करने के बाद सीधे टैबलेट से मेडिकल रिपोर्ट तैयार कर सकेंगे। इसके साथ ही, रिपोर्ट को कोर्ट के आदेश के अनुसार तुरंत ऑनलाइन अपलोड किया जा सकेगा।
  2. कोर्ट में कार्रवाई में तेजी
    ऑनलाइन मेडिकल रिपोर्ट समय पर अपलोड होने से अदालत में आरोपियों पर कार्रवाई में कोई देरी नहीं होगी। इससे पीड़ितों को न्याय मिलने में आसानी होगी और संबंधित अधिकारियों को कार्यों में ज्यादा दक्षता मिलेगी।
  3. डाटा ऑपरेटर पर बोझ में कमी
    पहले डाटा ऑपरेटर को एक घंटे इमरजेंसी में उपस्थित होकर रिपोर्ट अपलोड करने की जिम्मेदारी दी जाती थी, लेकिन अब चिकित्सक खुद रिपोर्ट अपलोड कर सकेंगे। इससे डाटा ऑपरेटर पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा और वे अपने अन्य कामों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
  4. रिपोर्ट अपलोडिंग में निरंतरता
    पहले यह समस्या आती थी कि डाटा ऑपरेटर जब अपनी ड्यूटी से फ्री नहीं हो पाते थे, तब मेडिकल रिपोर्ट समय पर अपलोड नहीं हो पाती थी। अब चिकित्सकों के पास खुद टैबलेट होने से यह समस्या खत्म हो जाएगी और रिपोर्ट अपलोडिंग में निरंतरता बनी रहेगी।

ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों के लिए जिम्मेदारी

इस नई व्यवस्था में टैबलेट की सुरक्षा की जिम्मेदारी ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक की होगी। यदि ड्यूटी बदलती है, तो यह टैबलेट दूसरे चिकित्सक को सौंप दिया जाएगा। इस प्रकार, चिकित्सकों के पास टैबलेट रहेगा, जिससे वे तत्काल मेडिकल रिपोर्ट बना सकेंगे।

टैबलेट की उपलब्धता और वितरण

इन टैबलेट्स को जिला अस्पताल, महिला अस्पताल और 20 सीएचसी (समुदाय स्वास्थ्य केंद्र) और 11 पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) के इमरजेंसी विभाग में तैनात चिकित्सकों को उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी चिकित्सक बिना रिपोर्ट तैयार किए मरीज को न छोड़े।

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