कारगिल शहीद दिवस: शहीदों की शहादत को नमन, बलिया में सम्मान समारोह और स्मृति द्वार उद्घाटन

कारगिल शहीद दिवस: शहीदों की शहादत को नमन, बलिया में सम्मान समारोह और स्मृति द्वार उद्घाटन

बलिया, 26 जुलाई 1999 का दिन भारतीय सेना के अदम्य साहस और बलिदान का प्रतीक बनकर इतिहास में दर्ज हो गया। यह दिन केवल एक युद्ध की जीत का दिन नहीं है, बल्कि यह भारतीय सैनिकों के अथक परिश्रम, साहस और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। देश के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि वह इस दिन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करे और उनके योगदान को याद रखे। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर बलिया में आयोजित जिला संगोष्ठी और शहीद सम्मान समारोह में प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने शहीदों की शहादत को सलाम करते हुए कहा कि 26 जुलाई का दिन भारत के लिए गर्व का दिन है, क्योंकि इस दिन हमारे वीर सैनिकों ने देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी थी।

समारोह की शुरुआत और मंत्री का सम्बोधन

इस अवसर पर टाउन हॉल बापू भवन में आयोजित संगोष्ठी और शहीद सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने शिरकत की। उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि, “26 जुलाई 1999 को भारतीय सैनिकों ने अपने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए कारगिल के दुर्गम इलाकों में तिरंगा लहराया था। इस युद्ध में देश ने 527 वीर सैनिकों को खो दिया था। इनमें बलिया के शहीदों की संख्या विशेष रूप से अधिक थी।”

उन्होंने आगे कहा, “यह दिन हमारे लिए केवल विजय का दिन नहीं है, बल्कि यह हमारी सेना की बलिदान की कहानी है, जिनकी वजह से हम आज अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता और सुरक्षा का आनंद ले रहे हैं।” मंत्री दयाशंकर सिंह ने शहीदों के परिवारों को सम्मानित करते हुए उन्हें अंगवस्त्रम और मोमेंटो भेंट किए। उन्होंने बलिया की धरती को बलिदानियों की भूमि करार दिया और कहा, “यह भूमि अमर शहीदों मंगल पांडेय, जयप्रकाश नारायण और चंद्रशेखर की धरती है। यहाँ के खून में बलिदान और शौर्य है।”

आजादी के लिए बलिदान देने वालों को नमन

परिवहन मंत्री ने यह भी कहा, “आज हमारे सैनिकों का मनोबल सबसे अधिक ऊंचा है। जब हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात करते हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि उनका नेतृत्व और उनकी नीति ने हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ाया है। एक सैनिक शहीद होता है, तो दुश्मन के दस मारे जाते हैं। यह हमारी सेना की शक्ति और वीरता का प्रतीक है।”

सभी लोग जानते हैं कि बलिया की धरती पर हमेशा से वीर सैनिकों और शहीदों का इतिहास रहा है। दयाशंकर सिंह ने कहा, “यहाँ के लोग हमेशा राष्ट्र की सेवा में अपनी जान की बाजी लगाने से नहीं डरते। यहां के खून में बलिदान है, और यह परंपरा अब भी जारी है।”

जिलाध्यक्ष का वक्तव्य

कार्यक्रम के दौरान जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा ने शहीदों और सेनानियों के प्रति परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की श्रद्धा और सम्मान की सराहना की। उन्होंने कहा, “मंत्री दयाशंकर सिंह का शहीदों के प्रति जो सम्मान है, वह पूरे प्रदेश में किसी और के पास नहीं है। उनके द्वारा शहीदों के परिवारों को सम्मान देना एक ऐसा कार्य है, जो हमें हमेशा प्रेरित करता है।”

सेनानी परिवारों को स्कूटी की सौगात

इस मौके पर मंत्री दयाशंकर सिंह ने शहीदों के परिवारों को उपहार के तौर पर इलेक्ट्रिक स्कूटी प्रदान की। यह एक बहुत ही प्रेरणादायक कदम था, जिससे शहीदों के परिजनों की सहायता और सम्मान सुनिश्चित किया गया। उन्होंने शहीदों के परिजनों को स्कूटी की चाबी सौंपते हुए कहा, “यह छोटा सा प्रयास है, लेकिन हम शहीदों के परिवारों के साथ हमेशा खड़े हैं। उनका बलिदान हमारे लिए अमूल्य है।”

कई शहीद परिवारों को यह सम्मान प्रदान किया गया, जिनमें बहादुरपुर निवासी भगवती चौबे, हांसनगर के विजय शंकर पांडेय, दुबहड़ के राजेश यादव, बब्बन यादव, चंद्रपुरा के विजय बहादुर सिंह, परसिया के काशीनाथ सिंह, शिवपुर नई बस्ती के रामलाल राम, अगरसंडा के नंदजी सिंह, सोमाली के कमलाकांत यादव और उद्धव दवनी के शहीद राजाराम यादव के परिवारों को स्कूटी की चाबी दी गई।

किशुनीपुर में स्मृति द्वार का उद्घाटन

बलिया जिले के किशुनीपुर में शहीद अमित तिवारी के सम्मान में एक भव्य स्मृति द्वार का उद्घाटन किया गया। शहीद अमित तिवारी 26 जुलाई 2010 को असम में अपनी ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए थे। उनकी शहादत के 15 साल बाद भी उन्हें सम्मान देने के लिए यह स्मृति द्वार बनाया गया।

इस कार्यक्रम में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने शहीद अमित तिवारी की शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “अमित तिवारी जैसे वीर जवानों की शहादत से ही देश सुरक्षित है। हम सबको उनके जैसे सैनिकों के बलिदान से प्रेरणा लेनी चाहिए।”

कार्यक्रम में डॉ. जनार्दन राय, रिंकू दुबे, पुना सिंह और अन्य स्थानीय नेता भी उपस्थित थे। इस आयोजन में शहीदों के परिवारों, ग्रामीणों और अधिकारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और शहीदों को याद करते हुए उनका सम्मान किया।

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