बुधवार को जिले के सरकारी जिला अस्पताल में अचानक बिजली की आपूर्ति लगभग एक घंटे तक बाधित हो गई। यह घटना सुबह करीब 11 बजे हुई, जब अस्पताल परिसर में स्थित मुख्य बिजली लाइन का तार टूट गया। इस घटना के कारण अस्पताल के ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) और इमरजेंसी कक्ष में भर्ती 310 से अधिक मरीजों और चिकित्सकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। अधिकतर मरीज उमस और गर्मी के कारण बेहाल हो गए थे और उन्हें उपचार में असुविधा हुई। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई वैकल्पिक उपाय नहीं किया गया, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई।
बिजली की आपूर्ति में खराबी और जनरेटर का न चलना
बताया गया है कि अस्पताल की इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर में बिजली की आपूर्ति पानी टंकी के पास से गुजरने वाली मुख्य लाइन से होती है। सुबह करीब 11 बजे लाइन का तार टूटने के बाद शॉर्ट सर्किट हो गया, जिसके कारण बिजली की आपूर्ति ठप हो गई। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने जनरेटर को चलाने की कोशिश की, लेकिन जनरेटर भी खराब था, जिससे विद्युत आपूर्ति का कोई वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध नहीं हो सका। इस स्थिति ने अस्पताल में हाहाकार मचा दिया, क्योंकि मरीजों और चिकित्सकों को उमस भरी गर्मी और अंधेरे में समय बिताना पड़ा।
मरीजों और तीमारदारों की स्थिति
बिजली की आपूर्ति बाधित होने के बाद अस्पताल के ओपीडी और इमरजेंसी कक्ष में मरीजों और उनके तीमारदारों की स्थिति अत्यंत दुखद रही। मरीजों को एक्स-रे , भर्ती की पर्ची, गमछा, कार्टन, और अन्य सामान से हवा करते हुए देखे गए। इसके अलावा, इमरजेंसी कक्ष में गंभीर मरीजों के पंखा और लाइट की कमी से जूझ रहे थे।
कई लोगों ने बताया कि वे घंटों तक गमछा और एक्स-रे फिल्म से हवा करते रहे, लेकिन उमस और गर्मी की स्थिति में कोई राहत नहीं मिल रही थी।
अस्पताल प्रशासन का क्या आया जवाब
इस आपातकालीन स्थिति पर अस्पताल के चीफ मेडिकल सुपरिंटेंडेंट (सीएमएस) डॉ. एसके यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “तार टूटने के कारण बिजली की आपूर्ति कुछ देर के लिए बाधित हो गई थी। हालांकि, हमने समय रहते मरम्मत कर बिजली की सप्लाई को फिर से चालू कर दिया।” उन्होंने यह भी कहा कि बिजली की आपूर्ति के लिए अन्य उपाय करने का प्रयास किया गया, लेकिन तकनीकी कारणों के कारण जनरेटर काम नहीं कर सका, जिसके कारण स्थिति और बिगड़ गई।
जनरेटर का इंतजाम क्यों नहीं किया गया?
- आपातकालीन व्यवस्थाओं का अभाव: अस्पतालों में हमेशा एक बैकअप जनरेटर और विद्युत आपूर्ति का वैकल्पिक तरीका होना चाहिए, क्योंकि यहां मरीजों की ज़िंदगी दांव पर होती है। अगर एक जनरेटर खराब हो जाए, तो तुरंत दूसरा जनरेटर या कोई अन्य उपाय किया जाना चाहिए था। ऐसा नहीं किया गया, यह बड़ी लापरवाही की बात है।
- आपातकालीन तैयारी: जनरेटर की मरम्मत में समय लगना समझ आता है, लेकिन इतनी देर तक इंतजार करना और इंतजाम न करना अस्पताल प्रशासन की असंवेदनशीलता और खराब व्यवस्थाओं को दिखाता है। अस्पताल प्रशासन को इसके लिए पहले से तैयारी करनी चाहिए थी, ताकि ऐसी स्थिति में मरीजों को कोई समस्या न हो।
- प्रशासनिक लापरवाही: जब एक मुख्य सुविधा (जैसे बिजली) काम नहीं कर रही है, तो दूसरी सुविधाओं को तुरंत सक्रिय करना ज़रूरी होता है। अगर प्रशासन ने जल्दी से दूसरा उपाय नहीं किया, तो यह उसकी प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। अस्पतालों में इन घटनाओं के लिए पहले से ही एक संकट प्रबंधन योजना बननी चाहिए।
- जनरेटर की ख़राबी पर प्रश्न: क्या अस्पताल में सिर्फ एक ही जनरेटर था? क्या उस जनरेटर की मरम्मत के लिए कोई समुचित तंत्र था? अस्पतालों को इस तरह के उपकरणों के लिए ठीक से देखभाल और मरम्मत की व्यवस्था रखनी चाहिए ताकि कोई भी अचानक आने वाली परेशानी जल्दी हल हो सके।
- मरीजों की सुरक्षा और सुविधा: अस्पतालों का मुख्य उद्देश्य मरीजों की भलाई है, लेकिन यहां जनरेटर की खराबी के कारण मरीजों को भयंकर गर्मी और असुविधा का सामना करना पड़ा। मरीजों के इलाज के दौरान ऐसी परिस्थितियां और मुश्किलें निश्चित रूप से उनके स्वास्थ्य को और बिगाड़ सकती हैं।
क्या इतना खराब इंतजाम था?
अस्पतालों को मूलभूत सुविधाएं जैसे बिजली, जल आपूर्ति, साफ-सफाई, और चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। अगर ये सुविधाएं लगातार बाधित होती हैं, तो अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
इस वेबसाईट पर आपकी बलिया का न्यूज ,यूपी का न्यूज , हिन्दी समाचार ,बलिया का खबर , बलिया का ब्रेकिंग न्यूज आपतक सबसे पहले अपडेट करता है ।