बलिया ददरी मेला विवाद: नगर पालिका अध्यक्ष ने दी सामूहिक इस्तीफे की धमकी

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में आयोजित होने वाले प्रसिद्ध ददरी मेला (ददरी मेले) को लेकर जिला प्रशासन तथा नगर पालिका के बीच विवाद गहराता जा रहा है। शनिवार को नगर पालिका के अध्यक्ष संत कुमार उर्फ मिठाई लाल ने तीखे तेवर अपनाते हुए कहा कि यदि मेले को लेकर उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे हाई‑कोर्ट जाने तथा नगर पालिका बोर्ड के समस्त सदस्यों सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी देने लगे ।

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संत कुमार ने अपने पक्ष में साफ बोला कि परंपरागत तौर पर मेले के संचालन और प्रबंधन में नगर पालिका अध्यक्ष की एक विशिष्ट भूमिका रही है— यानी वे मेले के ‘जीओसी’ (जनरल ऑफिसर कमांडिंग) की तरह कार्य करते रहे हैं। दूसरी ओर, जिला प्रशासन—जहाँ जिलाधिकारी मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि होते हैं—सम्पूर्ण शांति‑व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था का प्रभारी रहा है। लेकिन इस वर्ष उनका कहना है कि यह पूर्व की तरह नहीं हो रहा है, बल्कि उनका अधिकार क्षेत्र अतिक्रमित हुआ है।

क्या बोले प्रसिद्ध ददरी मेला पर मिठाई लाल

उनका कहना था: “हम चपरासी तो नहीं हैं कि शासन आदेश दे और हम तुरंत पैसे जमा कर दें या भूमिका निभा लें। मुझे जनता ने भरोसे से चुना है और यह सिर्फ पद की बात नहीं है — यह अधिकार, पहचान और जिम्मेदारी की बात है।” उन्होंने जोर देते हुए कहा, “यह सम्मान की लड़ाई है। मैं जनता का प्रतिनिधि हूँ, जिलाधिकारी मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि हैं — लेकिन प्रतिनिधित्व का मूल दर्जा मुझे मिला है।”

संत कुमार ने यह भी उल्लेख किया कि 28 साल बाद उनकी पार्टी (Bharatiya Janata Party) की जीत के बाद इस तरह का विरोध‑वाद पहली बार देखने को मिला है। मेले की व्यवस्थाओं, अवधि, और प्राधिकरण—इन सभी पर उनकी नाराजगी स्पष्ट है। उन्होंने घोषणा की कि यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो 25 सभासदों के साथ मिलकर सक्षम न्यायालय तक भी मामला ले जाएंगे।

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उनका कहना है कि इस बार प्रशासन ने ऐसा कदम उठाया है जिससे नगर पालिका अध्यक्ष की भूमिका घटकर चली गई है। उन्होंने संकेत दिया कि मेले की अवधि में, मेले‑स्थल की स्वीकृति तथा संचालन संबंधी क्रम में नगर पालिका की पूर्व‑प्राप्त भूमिका को कमतर समझा गया है। उदाहरण के तौर पर, मेले की तारीख‑विस्तार और पुलिस श्रम‑बल की व्यवस्था को लेकर उन्होंने यह कहा कि उन्हें संतोषजनक बात नहीं बताई गई, जबकि पूर्व में ये जिम्मेदारियाँ पारदर्शी थीं।

इस विवाद की पृष्ठभूमि में यह भी देखा जाना चाहिए कि ददरी मेला न केवल बलिया बल्कि आसपास के जिलों एवं राज्यों में व्यापार‑व्यवसाय एवं पशु‑व्यापार का एक महत्वपूर्ण आयोजन रहा है। इस प्रकार मेले की सफलता और आकर्षक स्वरूप में नगर पालिका की सक्रिय भूमिका रही है, और इस भूमिका में संत कुमार ने अपनी भूमिका को प्रमुखता से रखा है।

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