सोमवार को जिले के सरकारी अस्पताल में उमस भरी गर्मी के कारण बिजली की आपूर्ति में एक गंभीर समस्या हो गई। इमरजेंसी के बगल से गुजर रहा बिजली का तार टूट गया, जिससे अस्पताल में बिजली की आपूर्ति ठप हो गई। करीब 40 मिनट तक बिजली आपूर्ति बाधित रहने के कारण अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष और मेडिकल वार्ड में भर्ती करीब 53 मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इन मरीजों को उमस और गर्मी के बीच इलाज में कठिनाई हो रही थी। अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक भी स्थिति से परेशान थे और ओपीडी में कार्य कर रहे डॉक्टरों को गर्मी और उमस से बेहाल होकर उठकर जाना पड़ा।
अस्पताल प्रशासन के द्वारा बार-बार बिजली निगम से लोड बढ़ाने की मांग की गई थी, लेकिन यह समस्या जस की तस बनी रही। कोविड काल के बाद अस्पताल में लोड दोगुना बढ़ चुका है। इस दौरान ओपीडी से लेकर अस्पताल के वार्डों तक एसी और कूलर जैसे उपकरण लग गए हैं। ऐसे में बिजली की आपूर्ति पर दबाव काफी बढ़ गया है, लेकिन पुराने तारों और मशीनों के चलते बिजली सप्लाई पर हमेशा खतरा बना रहता है। गर्मी और उमस में बिजली की आपूर्ति बाधित होने से यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।
सबसे ज्यादा समस्या इमरजेंसी कक्ष में भर्ती मरीजों को हो रही है। यहां, एक ओर तो बिजली की आपूर्ति बार-बार बाधित होती है, दूसरी ओर इन्वर्टर भी डाउन हो जाते हैं, जिससे रोशनी भी चली जाती है। ऐसे में चिकित्सकों को अंधेरे में मरीजों का इलाज करना पड़ता है। इस दौरान स्थिति बेहद खराब हो जाती है और चिकित्सक भी इस चुनौती से जूझते हुए मरीजों का इलाज करते हैं। मरीजों और उनके तीमारदारों की भीषण गर्मी और अंधेरे में हालत बिगड़ जाती है।
अस्पताल प्रशासन ने कई बार बिजली निगम को पत्र लिखकर अस्पताल में बिजली आपूर्ति की क्षमता बढ़ाने की मांग की है, लेकिन विभाग हर बार आश्वासन देकर समस्या को नजरअंदाज करता है। सोमवार को जैसे ही बिजली का फॉल्ट आया, इमरजेंसी कक्ष में इन्वर्टर भी डाउन हो गया, जिससे एलईडी लाइट तक नहीं जल पाईं। इस दौरान, चिकित्सकों ने अंधेरे में ही मरीजों का इलाज किया, जो उनकी मुश्किलों को और बढ़ा देता था।
बढ़ते मरीजों का दबाव
इसके अलावा, अस्पताल में मरीजों की भीड़ का दबाव भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। सोमवार को दो दिन की छुट्टी के बाद जब अस्पताल खुला, तो ओपीडी में 2500 से ज्यादा मरीज इलाज कराने पहुंचे। इनमें से लगभग 40 प्रतिशत मरीज मौसमी बदलाव से ग्रस्त थे। अस्पताल के पर्ची काउंटर से लेकर ओपीडी और जांच केंद्र तक लंबी लाइनें लगी हुई थीं। पर्ची काउंटर पर अत्यधिक भीड़ होने की वजह से मरीजों के बीच झगड़े तक की स्थिति बन गई थी। इसी बीच, पैथोलॉजी केंद्र पर भी खून जांच के लिए मरीज घंटों इंतजार कर रहे थे।
ओपीडी और काउंटर पर बढ़ी भीड़
ओपीडी संख्या चार में सबसे ज्यादा भीड़ देखी गई, जहां मरीजों का इलाज किया जा रहा था। सीएमएस कार्यालय तक भी लंबी लाइन लगी रही, और मरीजों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। गर्मी और उमस के कारण मरीज और उनके तीमारदार असहज थे और इस स्थिति ने अस्पताल प्रशासन की परेशानियों को और बढ़ा दिया। ट्रॉमा सेंटर में सर्जन डॉ. बीके सिंह की ओपीडी में भी भारी भीड़ थी और दो बजे तक दवा काउंटर पर मरीजों की लंबी लाइन लगी रही।
अस्पताल प्रशासन की दुविधा
अस्पताल प्रशासन इस बढ़ती भीड़ और बिजली संकट से निपटने के लिए कई प्रयास कर चुका है, लेकिन अब भी हालात जस के तस बने हुए हैं। कोविड-19 के दौरान अस्पताल की क्षमता बढ़ने से इस पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। लेकिन, अस्पताल प्रशासन की ये कोशिशें तब तक अधूरी ही रहती हैं, जब तक बिजली निगम अस्पताल में लोड बढ़ाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता।
बिजली संकट के चलते इलाज में कठिनाई
बिजली की आपूर्ति बाधित होने के कारण मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी इमरजेंसी कक्ष में हो रही है। यहां बिजली की आपूर्ति में कोई स्थिरता नहीं है, और किसी भी वक्त बिजली कटौती की समस्या हो जाती है। इस समय अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज हो रहा होता है और अंधेरे में मरीजों का इलाज करना चिकित्सकों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन जाती है। इन्वर्टर के डाउन होने और बिजली के कटने के कारण दवाओं और चिकित्सकीय उपकरणों तक तकरीबन सभी व्यवस्था ठप हो जाती है।
अस्पताल में विभिन्न जांच केंद्रों, जैसे एक्स-रे, पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड की सेवाओं में भी बिजली की आपूर्ति बाधित होने के कारण बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है। इन जांचों के बिना मरीजों का सही इलाज करना भी मुश्किल हो जाता है।
बलिया न्यूज के साथ अभिषेक
इस वेबसाईट पर आपकी बलिया का न्यूज ,यूपी का न्यूज , हिन्दी समाचार ,बलिया का खबर , बलिया का ब्रेकिंग न्यूज आपतक सबसे पहले अपडेट करता है ।