बलिया में प्लास्टिक मुक्त ग्राम पंचायतों की ओर बड़ा कदम: 5 जून तक चलेगा विशेष अभियान

बलिया में प्लास्टिक मुक्त ग्राम पंचायतों की ओर बड़ा कदम: 5 जून तक चलेगा विशेष अभियान

बलिया जिले में पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक प्रेरणादायक पहल की जा रही है। शासन के निर्देशानुसार जिले भर में प्लास्टिक मुक्त अभियान चलाया जा रहा है, जो 22 मई 2025 से प्रारंभ होकर 5 जून 2025 — विश्व पर्यावरण दिवस तक चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य न केवल ग्राम पंचायतों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करना है, बल्कि इस कचरे का सुरक्षित निपटान और इसके पुनर्चक्रण के माध्यम से राजस्व अर्जन भी करना है।

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अब तक इस अभियान के तहत विभिन्न ग्राम पंचायतों में कुल 26 क्विंटल प्लास्टिक कचरा एकत्र किया गया है। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन, पंचायत विभाग और ग्रामीण समाज पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीरता से प्रयासरत हैं।

प्रशासन की सक्रिय भूमिका

अभियान की निगरानी और संचालन में पंचायत विभाग की अहम भूमिका रही है। सहायक विकास अधिकारी पंचायत (सीयर) मनोज कुमार सिंह ने इस दिशा में सबसे प्रभावशाली कार्य किया है। उन्होंने अकेले अपने क्षेत्र से 10 क्विंटल से अधिक प्लास्टिक कचरा एकत्र कर उसे प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट को भेज दिया है।

इसी प्रकार, नवानगर के सहायक विकास अधिकारी पंचायत मनोज कुमार यादव ने 7 क्विंटल, अवधेश कुमार पांडेय ने 3 क्विंटल, और मुरली छपरा के सहायक विकास अधिकारी पंचायत दिग्विजय नाथ तिवारी ने 6 क्विंटल प्लास्टिक कचरा एकत्र कर उसे नियत स्थानों पर भेजने की व्यवस्था की है।

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण की भागीदारी

इस अभियान में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के जिला समन्वयक गोपाल राय की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने बताया कि यह प्रयास तभी सफल हो सकता है जब सभी अधिकारी, पंचायत प्रतिनिधि, ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य और आम ग्रामीण अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सक्रिय भागीदारी करें।

उनका कहना है, “हमारा प्रयास है कि प्रत्येक ग्राम पंचायत पूरी निष्ठा और क्षमता से कार्य करे। विशेषकर ग्रामीणों को जागरूक कर, उन्हें इस अभियान से जोड़ने की कोशिश की जा रही है।”

अभियान की कार्यप्रणाली

यह अभियान केवल प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने तक सीमित नहीं है। इसके तहत एक व्यवस्थित प्रक्रिया अपनाई गई है:

  1. ग्राम पंचायत स्तर पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है जिसमें प्लास्टिक कचरे को अलग से चिन्हित कर संग्रहित किया जा रहा है।
  2. संग्रहित कचरे को प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट में भेजा जा रहा है जहां उसका उचित निपटान और पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) किया जा रहा है।
  3. बिक्री के माध्यम से राजस्व भी उत्पन्न करने का लक्ष्य है, जिससे पंचायतों को आर्थिक लाभ भी मिल सके।
  4. जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें ग्रामीणों को प्लास्टिक के दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है और उन्हें इसके विकल्पों का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

ग्राम पंचायतों की भूमिका

ग्राम पंचायतों का इस अभियान में अहम योगदान रहा है। कई ग्राम प्रधानों ने व्यक्तिगत रुचि लेते हुए सफाई कर्मियों और स्वयंसेवकों के माध्यम से गांव-गांव जाकर कचरा एकत्र कराया है। ग्रामीणों को न केवल प्लास्टिक का उपयोग कम करने की सलाह दी जा रही है, बल्कि उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि वे किस प्रकार अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रख सकते हैं।

ग्रामीणों की सहभागिता

प्रशासन की इस मुहिम में आम ग्रामीणों की भागीदारी इसे और भी सफल बना रही है। गांव के बच्चे, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग — सभी इस अभियान में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। कई स्थानों पर स्वयं ग्रामीणों ने प्लास्टिक कचरा जमा कर पंचायत भवन तक पहुंचाया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जब जनभागीदारी होती है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

पर्यावरण के लिए एक सकारात्मक पहल

प्लास्टिक प्रदूषण आज एक वैश्विक समस्या बन चुका है। यह न केवल भूमि को बंजर बनाता है, बल्कि जल स्रोतों को भी प्रदूषित करता है और जीव-जंतुओं के लिए घातक सिद्ध होता है। बलिया में चल रहा यह अभियान पर्यावरण के प्रति एक गंभीर और सकारात्मक सोच को दर्शाता है।

यह पहल यदि सफल होती है (जो कि अब तक के आंकड़ों से प्रतीत होता है कि होगी), तो यह राज्य और देश के अन्य हिस्सों के लिए एक मॉडल अभियान बन सकती है।

आने वाले दिनों की योजना

5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इस अभियान को समापन तक पहुँचाया जाएगा, लेकिन यह अंत नहीं बल्कि एक नई शुरुआत होगी। प्रशासन का लक्ष्य है कि भविष्य में भी इस प्रकार के स्वच्छता और पर्यावरण सरंक्षण अभियानों को नियमित रूप से चलाया जाए।

इसके साथ-साथ प्लास्टिक के विकल्पों जैसे जूट बैग, कपड़े की थैलियों, मिट्टी के बर्तनों आदि के उपयोग को बढ़ावा देने की योजना है। विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों और पंचायत भवनों में इसके लिए प्रदर्शनियों और कार्यशालाओं का आयोजन भी प्रस्तावित है।

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