बलिया जिले के भीमपुरा थाना क्षेत्र में शुक्रवार रात एक मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने एक गो-तस्कर को गिरफ्तार किया है, जिससे तस्करी के एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ। इस मुठभेड़ में पुलिस ने आत्मरक्षार्थ जवाबी कार्रवाई करते हुए गो-तस्कर तैयब खान को गोली मारकर घायल कर दिया। इस घटना के बाद पुलिस ने उससे पूछताछ की, जिसमें कई अहम जानकारी सामने आई। तस्करी के इस नेटवर्क का सरगना तस्करों का एक गिरोह है, जो बलिया, आजमगढ़ और मऊ जिलों से गोवंशीय पशुओं की तस्करी कर उन्हें सिवान, बिहार में भेजता था।
मुठभेड़ का पूरी जानकारी :
शुक्रवार की रात, जब बलिया पुलिस भीमपुरा थाना क्षेत्र में रोज की तरह वाहन चेकिंग कर रही थी, तभी एक संदिग्ध मोटरसाइकिल पर बैठे दो व्यक्ति नजर आए। पुलिस ने उन्हें रुकने का इशारा किया, लेकिन बिना रुके, बाइक सवार व्यक्ति मोड़ कर खेतों की तरफ भाग गए। पुलिस टीम ने उनका पीछा करना शुरू किया, और जैसे ही पुलिस ने उन्हें घेर लिया, तस्करों ने पुलिस पर गोली चलाने की कोशिश की।
घटना को लेकर अपर पुलिस अधीक्षक उत्तरी अनिल कुमार झा ने जानकारी दी कि जैसे ही पुलिस टीम को यह खतरा महसूस हुआ, उन्होंने आत्मरक्षार्थ जवाबी कार्रवाई की। इस दौरान गो-तस्कर तैयब खान के बांये पैर में गोली लगी, जबकि उसका साथी सुनील यादव मौके का फायदा उठाकर अंधेरे का सहारा लेते हुए फरार हो गया।
गो-तस्करी नेटवर्क का खुलासा:
पुलिस ने घायल बदमाश तैयब खान को गिरफ्तार कर पूछताछ की, जिसमें उसने कई अहम खुलासे किए। पूछताछ के दौरान पता चला कि वह अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बलिया, आजमगढ़ और मऊ से गोवंशीय पशुओं की तस्करी करता था। इन पशुओं को वह बिहार के सिवान इलाके में भेजता था, जहां उनकी तस्करी की जाती थी।
गिरफ्तार किए गए बदमाश के पास से एक तमंचा और कारतूस भी बरामद हुए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि तस्करी के इस गिरोह में कई लोग शामिल थे और यह कार्य चोरी-छिपे किया जाता था।
तैयब खान ने बताया कि वह अपने साथी सुनील यादव के साथ इस अपराध में शामिल था, और दोनों मिलकर गोवंशीय पशुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर तस्करी करते थे। पुलिस ने अब सुनील यादव की तलाश शुरू कर दी है, और उसकी गिरफ्तारी के बाद इस रैकेट के अन्य सदस्यों के बारे में भी जानकारी मिलने की संभावना है।
गोपनीयता और तस्करी की गंभीरता:
बलिया पुलिस ने इस तस्करी के गिरोह को पकड़ने में अहम सफलता प्राप्त की है, लेकिन पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह तस्करी का नेटवर्क सिर्फ बलिया तक ही सीमित नहीं है। बलिया, आजमगढ़, मऊ और सिवान के बीच इस प्रकार के अपराधों में बड़ों का हाथ हो सकता है। गोवंशीय पशुओं की तस्करी सिर्फ मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह कानून का उल्लंघन भी है। तस्करी के इस प्रकार से केवल पशुओं का शोषण होता है, बल्कि समाज में भी अस्थिरता और हिंसा का माहौल पैदा होता है।
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