बलिया। रेवती थाना क्षेत्र के श्रीनगर गांव में पांच साल पहले हुई एक दिल दहला देने वाली घटना में तीन भाइयों को महिला की हत्या के मामले में दोषी हुए। जिले के सत्र न्यायाधीश अमितपाल सिंह की अदालत ने आरोपी तीन सगे भाइयों को आजीवन करवास की सजा सुनाई और उन्हें 15 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। यदि आरोपी जुर्माना नहीं भरते, तो उन्हें छह महीने की ज्यादा सजा भुगतनी होगी। यह मामला पांच साल पहले, 31 जनवरी 2020 की रात को घटना हुआ था। इस हत्याकांड के बाद पूरे क्षेत्र में खौफ का माहौल बना हुआ था।
पूरी घटना की जानकारी
31 जनवरी 2020 की रात करीब साढ़े दस बजे श्रीनगर गांव के उमेश वर्मा के घर में तीन बदमाश घुस आए थे। इन बदमाशों ने पहले उमेश वर्मा और उनके परिवार के पुरुषों को बंदी बना लिया और फिर उनकी पत्नी, बिंदु देवी पर हमला कर दिया। बिंदु देवी की बेरहमी से चाकू और दाव से हत्या कर दी गई। इसके बाद उन्होंने बिंदु देवी की बेटी अंशु वर्मा पर भी चाकू से हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। इस वारदात से पूरा गांव शोक में डूब गया, और क्षेत्र के लोग दहशत में आ गए।
वारदात के बाद उमेश वर्मा ने रेवती थाना में अज्ञात बदमाशों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया। पुलिस ने इस केस की जांच शुरू की और तफ्तीश के दौरान यह पता चला कि हत्या के आरोपी कोई और नहीं, बल्कि उनके ही पड़ोसी थे। जांच के बाद पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया, जो उमेश वर्मा के बगल के गांव के निवासी थे। ये तीन आरोपी संदीप, बबलू, और पिंटू नामक सगे भाई थे।
मामले की जांच और न्यायालय में पेशी
जांच में सामने आया कि इन तीनों भाइयों का संदीप, बबलू और पिंटू के साथ पहले से कोई पुराना विवाद था, जो इस हत्याकांड के कारण बना था। मामले की जांच को लेकर रेवती पुलिस ने 16 अप्रैल 2020 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। फिर 5 मई 2020 को सीजेएम न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए समन जारी किया और 30 मई 2020 को मामला सत्र न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया।
सत्र न्यायालय में दोनों पक्षों ने अपने-अपने सबूत पेश किए। अभियोजन पक्ष ने यह साबित किया कि संदीप, बबलू और पिंटू ने मिलकर बिंदु देवी पर जानलेवा हमला किया था, जिससे उसकी मृत्यु हो गई थी। वहीं, अंशु वर्मा को भी गंभीर रूप से घायल किया था। न्यायालय में सभी गवाहों ने यह स्वीकार किया कि तीनों आरोपी उसी समय घटनास्थल पर थे और उन्होंने इस खौफनाक हत्या की वारदात को अंजाम दिया था।
वहीं बचाव पक्ष ने यह दावा किया कि इन आरोपियों का हत्या से कोई लेना-देना नहीं था, और उन्होंने इसे एक साजिश का हिस्सा बताया। हालांकि, सत्र न्यायालय ने बचाव पक्ष के सभी तर्कों को नकारते हुए अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों को स्वीकार किया और तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया।
न्यायालय का फैसला
सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अमितपाल सिंह ने सभी तथ्यों और साक्ष्यों का गहराई से विश्लेषण करने के बाद यह फैसला सुनाया कि तीनों सगे भाइयों को बिंदु देवी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया जाता है। अदालत ने तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, साथ ही उन पर 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि यदि ये जुर्माना नहीं भरते हैं, तो उन्हें छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
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