उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में सोमवार को एक अनोखी स्थिति उत्पन्न हो गई, जब भारी संख्या में छात्र और छात्र नेता कलेक्ट्रेट पहुंचने के लिए तिरंगा यात्रा पर निकले। यह यात्रा सतीशचंद्र कॉलेज से शुरू होकर पूरे नगर का भ्रमण करती हुई कलेक्ट्रेट पहुंची। जैसे ही छात्र नेता कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचे, पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन छात्र नेताओं की झुंड ने विरोध जारी रखा और उन्हें जिलाधिकारी से मिलने की जिद पर अड़ा रहा। इस दौरान पुलिस और छात्र नेताओं के बीच धक्का-मुक्की भी हुई, जिससे स्थिति थोड़ी तनावपूर्ण हो गई।
यह तिरंगा यात्रा “पूर्वांचल छात्र संघर्ष समिति” द्वारा आयोजित की गई थी। समिति का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना था। यात्रा के दौरान छात्र नेताओं ने विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर जिलाधिकारी के पास ज्ञापन भी सौंपा।
छात्र नेताओं की प्रमुख मांगें
समिति के संयोजक नागेंद्र बहादुर सिंह ‘झुन्नू’ ने कलेक्ट्रेट परिसर में उपस्थित लोगों से कहा कि जिले का अधिकांश हिस्सा बाढ़ में डूब चुका है, और राहत सामग्री के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। उनका आरोप था कि प्रशासन राहत कार्यों में नाकाम रहा है और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गंभीर समस्या का समाधान नहीं हो रहा।
नागेंद्र बहादुर सिंह ने इसके साथ ही जिले की अन्य समस्याओं पर भी विचार साझा किए। उनका कहना था कि जिले में बिजली, सड़क और स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं। इसके कारण आम जनता को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने जिलाधिकारी से इन समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग की।
छात्र संघ चुनाव की मांग
तिरंगा यात्रा के दौरान छात्र नेताओं ने सबसे प्रमुख मांग छात्रसंघ चुनाव कराने की की। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राहुल मिश्र ने कहा कि छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए चुनाव जरूरी हैं। उनका कहना था कि छात्रसंघ के बिना छात्रों के मुद्दों पर कोई प्रभावी ध्यान नहीं दिया जा सकता है।
इसके अलावा, छात्र नेता अरविंद गोंडवाना ने गोंड खरवार जाति के छात्रों के लिए जाति प्रमाण पत्र जारी करने में प्रशासन की ओर से हो रही देरी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है, जिससे गोंड खरवार जाति के छात्रों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। छात्रों ने इस मुद्दे को लेकर भी जिलाधिकारी से शीघ्र समाधान की मांग की।
खाद की कमी और किसानों की समस्याएं
कृषि क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं को लेकर भी छात्र नेताओं ने अपनी आवाज उठाई। छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष राहुल मिश्र ने कहा कि समितियों पर खाद की भारी कमी हो गई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि किसानों को अपनी ज़रूरत की खाद निजी दुकानों से खरीदनी पड़ रही है, जो महंगी होती है। उनका कहना था कि सरकार को जल्द ही इस स्थिति पर ध्यान देना चाहिए, ताकि किसानों को उचित कीमत पर खाद मिल सके।
जिलाधिकारी का आश्वासन
इन सभी समस्याओं के बाद जिलाधिकारी ने छात्र नेताओं से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना। जिलाधिकारी ने छात्र नेताओं को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय द्वारा नियमावली जारी करने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराए जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने अन्य समस्याओं को लेकर भी त्वरित कार्रवाई करने का वादा किया।
जिलाधिकारी ने छात्रों को बताया कि राहत कार्यों के लिए सरकार द्वारा पहले ही कई योजनाएं शुरू की जा चुकी हैं और जल्द ही इन योजनाओं के तहत बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाई जाएगी। इसके अलावा, जिले में बिजली, सड़क और स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए भी प्रशासन सक्रिय है। उन्होंने छात्रों से सहयोग की अपील की और कहा कि वे प्रशासन के साथ मिलकर समस्याओं का समाधान करने में मदद कर सकते हैं।
छात्र नेताओं का प्रदर्शन और संचालन
तिरंगा यात्रा का संचालन छात्र नेता धनजी यादव ने किया। इस अवसर पर छात्र नेता अविनाश सिंह नंदन, मिथिलेश यादव मोती, अनुपम उपाध्याय, आदित्य योगी, रितेश पांडेय, प्रमोद यादव, विश्वकर्मा साहनी, हरेंद्र यादव, छोटू उपाध्याय, अंकित ओझा, लक्ष्मी यादव, नीरज प्रताप सिंह, शिवा पासी, राज भारती, विशाल पाठक समेत सैकड़ों छात्र एवं छात्र नेता उपस्थित थे।
यह प्रदर्शन केवल एक राजनीतिक प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह छात्रों की बढ़ती हुई जागरूकता और अधिकारों के प्रति उनकी जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। छात्र नेताओं ने यह संदेश दिया कि वे केवल अपनी समस्याओं को लेकर ही नहीं, बल्कि अपने समाज और राष्ट्र के लिए भी आवाज उठा रहे हैं।
भविष्य की योजना और छात्रों का संघर्ष
छात्र नेताओं का यह संघर्ष केवल वर्तमान समस्याओं के लिए नहीं था, बल्कि यह आने वाले दिनों में और भी ज्यादा संगठित रूप से अपनी मांगों को उठाने का संकेत था। छात्रों ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे किसी भी स्थिति में अपनी आवाज को दबने नहीं देंगे और समाज और राष्ट्र के लिए अपने कर्तव्यों को निभाने में पीछे नहीं हटेंगे।
इस आंदोलन ने यह भी सिद्ध कर दिया कि छात्र केवल किताबों तक सीमित नहीं रहते, बल्कि समाज में होने वाली विभिन्न घटनाओं और समस्याओं पर उनका दृष्टिकोण गंभीर और सक्रिय है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन और सरकार इन समस्याओं को हल करने के लिए क्या कदम उठाती है और क्या छात्रों की यह लड़ाई रंग लाती है।
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