बलिया सुखपुरा थाना क्षेत्र के घोसवती गांव में 3 मई को चक्की मालिक अजय तिवारी के अपहरण के मामले में मंगलवार को पुलिस को बड़ी राहत मिली। जहा राजनीतिक नेताओ के दवाओ के बीच एक इस केस मे नया मोड़ आ गया है यह मामला शुरू से ही इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ था, और पुलिस की काफी किरकिरी हो रही थी। पूरे मामले में नया खुलासा हुआ है, जब अजय तिवारी स्वयं एसपी कार्यालय पहुंच गए और बताया कि उनका अपहरण नहीं हुआ था। बल्कि, वह अपनी इच्छा से घर छोड़कर चले गए थे। इस घटनाक्रम से पुलिस ने राहत की सांस ली और अब तक की जांच और कड़ी कार्रवाई के बीच मामले के तथ्यों का मिलान किया जा रहा है।
क्या था पूरा मामला
घटना से जुड़ा घटनाक्रम शुरुआत से ही विवादों में था। दरअसल, 30 अप्रैल को रामाश्रय यादव के घर एक बरात आई थी। बरात में शामिल दो युवक जब अजय तिवारी के दरवाजे पर लघुशंका करने लगे, तो अजय तिवारी के पुत्र मृत्युंजय तिवारी ने उन्हें मना किया। इस पर युवकों ने मृत्युंजय की पिटाई कर दी। मृत्युंजय और उसके परिवार ने इसकी शिकायत पुलिस को दी और डायल-112 पुलिस ने दोनों युवकों को हिरासत में लिया। बाद में मेडिकल मुआयना करने के बाद आरोपियों के खिलाफ शांति भंग की धाराओं में कार्रवाई की गई और उन्हें चालान कर दिया गया। हालांकि, मृत्युंजय का आरोप था कि पुलिस इस मामले में आरोपियों से समझौता करने का दबाव बना रही थी और यदि ऐसा नहीं हुआ, तो गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जा रही थी।
मृत्युंजय के आरोपों के बाद स्थिति और खराब हो गई, और तीन मई की रात एक बड़ी घटना घटी। उनके भाई के अनुसार अजय तिवारी का अपहरण कर लिया गया था, जिसे लेकर इलाके में भारी आक्रोश फैल गया। दर्जनों बाइक और चार पहिया वाहनों से पहुंचे बदमाशों ने तांडव मचाते हुए अजय तिवारी को अगवा कर लिया। इस घटना के बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की और जांच तेज कर दी। साथ ही, राजनीतिक दलों और क्षेत्रीय नेताओं का भी दबाव पुलिस पर बना हुआ था। इन सब घटनाओं ने पूरे मामले को और जटिल बना दिया। पुलिस की स्थिति और भी खराब हो गई, क्योंकि उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे थे।
इस बीच, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें अजय तिवारी के संदिग्ध दिखाई देने की चर्चा हो रही थी। वीडियो गड़वार तिराहा का बताया जा रहा था और यह मुद्दा भी जांच के दायरे में था। इस वीडियो ने मामले को और पेचीदा बना दिया, जिससे पुलिस के लिए सही तथ्यों तक पहुंचना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस को एक और सुराग मिला और जांच को नई दिशा मिली।
मामला बढ़ता देख, एसपी ओमवीर सिंह ने पुलिस लाइन में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की और मामले की स्थिति को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि अजय तिवारी के अपहरण की जांच के लिए पुलिस कई जगहों से सीसीटीवी फुटेज और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सुराग जुटाने की कोशिश कर रही थी। पुलिस के प्रयासों के बावजूद मामले में कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आ रही थी। लेकिन 12 मई की शाम, अचानक एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ। अजय तिवारी स्वयं एसपी कार्यालय में पहुंचे और बताया कि उनका अपहरण नहीं हुआ था।
अजय तिवारी ने क्या बताया पुलिस को
अजय तिवारी ने पुलिस को बताया कि वह अपनी इच्छा से घर से बाहर गए थे और उनका किसी ने अपहरण नहीं किया था। उन्होंने कहा कि 30 अप्रैल को अपने पुत्र मृत्युंजय तिवारी और परिवार के अन्य सदस्य के साथ हुई मारपीट के कारण वह बहुत आहत थे। तीन मई की रात एक-दो बजे के बीच उन्होंने अपने घर से बिना किसी को बताए निकलने का निर्णय लिया। अजय तिवारी ने बताया कि वह पैदल ही खेतों के रास्ते बरवां से बलिया होते हुए गंगाजी के किनारे से होते हुए जमनिया चंदौली बार्डर तक पहुंच गए थे। इस यात्रा के दौरान वह पूरी तरह से अकेले थे और उनके साथ किसी प्रकार का अपहरण नहीं हुआ था।
11 मई को उन्हें यह चिंता हुई कि उनके परिवार वाले परेशान हो रहे होंगे, इसलिए उन्होंने जमनिया से ट्रेन पकड़ी और बक्सर पहुंचे। बक्सर से उन्होंने आटो लिया और बलिया पहुंचे, जहां कुछ परिचितों से मिले। उनके परिचितों ने बताया कि उनके परिजनों ने उनके अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया है। इसके बाद, अजय तिवारी ने एसपी कार्यालय में आकर अपनी पूरी कहानी बताई।
एसपी ओमवीर सिंह ने इस पूरे मामले में कहा कि अजय तिवारी की सकुशल वापसी की जांच की जा रही है और पुलिस अन्य विधिक कार्रवाई भी कर रही है। अब तक के घटनाक्रम में अजय तिवारी का बयान पुलिस के लिए राहत की बात है, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि मामले में पहले जो आरोप लगाए गए थे, वे अब कितने सच हैं। पुलिस जांच के बाद ही इस मामले में पूरी स्पष्टता आएगी।

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