बलिया जिले के सहतवार कस्बा स्थित सिनेमा रोड पर स्थित एक निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन के दौरान गर्भवती महिला रीना देवी (30) की मौत के मामले ने स्वास्थ्य सेवाओं और अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। यह घटना 6 जून शुक्रवार को घटित हुई, जब रीना देवी को ऑपरेशन के लिए भर्ती किया गया था, और ऑपरेशन के दौरान उनकी मौत हो गई। मृतका के परिजनों ने आरोप लगाया है कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ, जिसके बाद ससुर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने मामला 4 दिन बाद दर्ज करते हुए निजी अस्पताल के चिकित्सक डॉ. एके तिवारी के खिलाफ कार्रवाई की है।
घटना का विवरण
रेवती थाना के हड़िहाकला गांव निवासी गर्भवती रीना देवी को शुक्रवार को आदर्श सेवा सदन, जो कि सहतवार कस्बे का एक निजी अस्पताल है, में ऑपरेशन के लिए भर्ती किया गया था। हालांकि, ऑपरेशन के दौरान रीना की हालत बिगड़ गई और उनकी मौत हो गई। इसके बाद, अस्पताल प्रशासन ने हंगामे से बचने के लिए रीना की हालत को गंभीर बताकर उसे जिला अस्पताल भेजने की बात कही और एक निजी एंबुलेंस से उसे रेफर कर दिया।
जिला अस्पताल में भर्ती करने से पहले अस्पताल के कर्मचारियों ने इस घटना को छिपाने की कोशिश की, ताकि मामले का विरोध और हंगामा न हो। लेकिन, अगले दिन शनिवार को जब यह मामला मीडिया में आया और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध शुरू किया, तो प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया। जिला प्रशासन ने सीएमओ डॉ. संजीव वर्मन के नेतृत्व में एक जांच टीम गठित की, जिसने अस्पताल की जांच की और पाया कि यह अस्पताल अवैध रूप से संचालित हो रहा था।
प्रशासन की कार्रवाई
सीएमओ डॉ. संजीव वर्मन ने मामले का संज्ञान लिया और तत्काल एक टीम गठित कर जांच शुरू की। इस टीम में एसीएमओ डॉ. विजय यादव, एसीएमओ डॉ. योगेन्द्र दास और सीएचसी सहतवार प्रभारी डॉ. शशि प्रकाश शामिल थे। जांच के दौरान यह पाया गया कि आदर्श सेवा सदन नर्सिंग होम अवैध रूप से संचालित हो रहा था, और इसके पास जरूरी लाइसेंस और अनुमति नहीं थे। इसके बाद, अस्पताल के कर्मचारियों ने इसे सील कर दिया।
इस मामले में पुलिस ने ससुर लाल बहादुर यादव की तहरीर पर मामला दर्ज किया। थाना प्रभारी सहतवार, मूलचंद चौरसिया ने बताया कि मृतका के ससुर की तहरीर पर पुलिस ने निजी अस्पताल के डॉक्टर डॉ. एके तिवारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। विवेचना के दौरान पुलिस अन्य लोगों के नाम भी उजागर करने की कोशिश कर रही है, ताकि यह पता चल सके कि इस पूरे घटनाक्रम में और कौन-कौन जिम्मेदार हो सकते हैं।
घटनास्थल पर की गई जांच
शनिवार को सीएमओ डॉ. संजीव वर्मन ने खुद मामले का संज्ञान लिया और अस्पताल के अधिकारियों को आदेश दिया कि अस्पताल की जांच की जाए। इसके बाद, तीन सदस्यीय टीम ने जांच शुरू की और पाया कि अस्पताल में कई गड़बड़ियां थीं। सबसे बड़ी बात यह थी कि अस्पताल के पास स्वास्थ्य विभाग से किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं थी और न ही इसका लाइसेंस था। यह एक अवैध रूप से चलने वाला निजी अस्पताल था।
टीम ने यह भी पाया कि अस्पताल के चिकित्सक, डॉ. एके तिवारी ने ऑपरेशन के दौरान पर्याप्त सावधानी नहीं बरती थी, जिसके कारण गर्भवती महिला की मौत हो गई। जांच में यह सामने आया कि ऑपरेशन से संबंधित सभी जरूरी प्रक्रिया और सावधानियों को नजरअंदाज किया गया, जिसके कारण महिला की मौत हुई।
अस्पताल प्रशासन का पक्ष
इस मामले में अस्पताल प्रशासन ने अपनी सफाई में कहा कि ऑपरेशन के दौरान महिला की हालत अचानक गंभीर हो गई थी, और डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की थी, लेकिन फिर भी उसे बचाया नहीं जा सका। अस्पताल प्रशासन का कहना था कि यह एक मेडिकल कॉम्प्लिकेशन था, जो किसी भी डॉक्टर के लिए अप्रत्याशित था। हालांकि, जांच के बाद यह साफ हो गया कि डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान मानक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया, जिससे घटना को और बढ़ावा मिला।
पुलिस का बयान
थाना प्रभारी सहतवार, मूलचंद चौरसिया ने बताया कि मृतका के ससुर की तहरीर पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपी डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। उन्होंने यह भी बताया कि मामले की विवेचना अभी जारी है, और जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, अन्य लोगों का नाम सामने आ सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अगर कोई और जिम्मेदार पाया जाता है, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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