Railway Rule :रेलवे ने किया बड़ा बदलाव लोगों को मिलेगा सुविधा ,जाने क्या है नया नियम

रैलवे ने किया बड़ा बदलाव लोगों को मिलेगा सुविधा ,जाने क्या है नया नियम

भारत में रेलवे प्लेटफ़ॉर्म और ट्रेनों में खानपान का एक बड़ा और महत्वपूर्ण रैलवे मे क्षेत्र है। जहां एक ओर यह वेंडरों को रोजगार प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर यह यात्रा कर रहे यात्री के लिए खानपान की आवश्यकता को भी पूरा करता है। लेकिन, कई बार इस ट्रेन में लड़ाई झगड़ा का बात सामने आती है । जहा ओवरचार्जिंग, खराब गुणवत्ता वाली खाद्य सामग्री और कभी-कभी वेंडरों द्वारा यात्रियों के साथ अभद्रता जैसे मुद्दे यात्रियों के अनुभव को प्रभावित करते हैं। इन समस्याओं को सुलझाने के लिए भारतीय रेलवे और आईआरसीटीसी ने एक नई पहल की है, जिसके तहत प्लेटफ़ॉर्म और ट्रेनों में खानपान बेचने वाले सभी वेंडरों को मानकीकृत पहचान पत्र (आईकार्ड) जारी किए जाएंगे, जिसमें एक क्यूआर कोड होगा। यह पहल वेंडरों की पहचान सुनिश्चित करने और खानपान की गुणवत्ता पर निगरानी रखने के उद्देश्य से की गई है।

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Table of Contents

New Railway Rule 2025 : नई व्यवस्था का उद्देश्य और प्रमुख विशेषताएँ

  1. वेंडरों की पहचान पत्र:
    भारतीय रेलवे और आईआरसीटीसी द्वारा लागू की जा रही नई व्यवस्था में प्रत्येक वेंडर को एक मानकीकृत पहचान पत्र मिलेगा। इस पहचान पत्र पर एक क्यूआर कोड होगा, जिसे स्कैन करने पर वेंडर का सम्पूर्ण विवरण स्क्रीन पर दिखाई देगा। इस विवरण में वेंडर का नाम, आधार संख्या, चिकित्सकीय फिटनेस प्रमाणपत्र, पुलिस सत्यापन तिथि, तैनाती , और लाइसेंसधारक का नाम जैसी महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होगी। इससे किसी भी वेंडर की पहचान आसानी से की जा सकेगी और किसी भी शिकायत या समस्या के समाधान में आसानी होगी।
  2. खानपान की गुणवत्ता की निगरानी:
    एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि खानपान विक्रेताओं की गुणवत्ता और उचित मूल्य पर निगरानी रखी जाएगी। इसके लिए आरपीएफ और आईआरसीटीसी की टीमों द्वारा वेंडरों पर नियमित रूप से निगरानी की जाएगी। यदि किसी वेंडर से संबंधित कोई शिकायत आती है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वेंडर खाद्य सामग्री की गुणवत्ता बनाए रखें और किसी प्रकार की अनियमितता से बचें।
  3. ओवरचार्जिंग और अन्य अनियमितताओं पर नियंत्रण:
    रेलवे प्लेटफ़ॉर्म और ट्रेनों में खानपान विक्रेताओं द्वारा ओवरचार्जिंग की समस्या एक बड़ी चुनौती रही है। अब इस नई व्यवस्था के तहत प्रत्येक वेंडर का रिकॉर्ड पारदर्शी तरीके से रखा जाएगा, जिससे ओवरचार्जिंग जैसे मामलों को तुरंत रोका जा सकेगा। अगर किसी वेंडर के खिलाफ ओवरचार्जिंग या किसी अन्य अनियमितता की शिकायत होती है, तो इसे तत्काल प्रभाव से सुलझाया जाएगा और संबंधित वेंडर पर कार्रवाई की जाएगी।
  4. शिकायत प्रणाली और कार्रवाई:
    यदि किसी वेंडर के खिलाफ यात्रियों को शिकायत होती है, तो यात्री सीधे रेलवे प्रशासन या आईआरसीटीसी से संपर्क कर सकते हैं। क्यूआर कोड स्कैन करने से वेंडर का नाम और विवरण प्राप्त होगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शिकायत का समाधान सही व्यक्ति के खिलाफ किया जा सके। शिकायत मिलने पर रेलवे प्रशासन की ओर से वेंडर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जुर्माना, लाइसेंस रद्द करना या कानूनी कार्रवाई भी शामिल हो सकती है।
  5. वेंडरों का सत्यापन और रिकॉर्ड की प्रणाली:
    वेंडरों का सत्यापन बेहद महत्वपूर्ण होगा। प्रत्येक वेंडर को ट्रेन या स्टेशन परिसर में व्यापार करने से पहले पुलिस सत्यापन और चिकित्सकीय फिटनेस प्रमाणपत्र जमा करना होगा। इसके अलावा, वेंडरों का रिकॉर्ड हर स्टेशन पर संबंधित स्टेशन प्रबंधक या आईआरसीटीसी के प्राधिकारी के पास दर्ज होगा। यह रिकॉर्ड इस बात को सुनिश्चित करेगा कि कोई वेंडर बिना पहचान पत्र के खानपान की सामग्री न बेचे और न ही नियमों का उल्लंघन करे।

रैलवे का नया नियम के लाभ

  1. यात्रियों का विश्वास बढ़ेगा:
    जब वेंडरों के पास मानकीकृत पहचान पत्र होंगे और उनकी निगरानी की जा रही होगी, तो यात्रियों का विश्वास बढ़ेगा। उन्हें यह महसूस होगा कि उनका खानपान सुरक्षित और गुणवत्ता पूर्ण है। साथ ही, ओवरचार्जिंग और खराब सेवा जैसी समस्याएं भी कम होंगी।
  2. खानपान की गुणवत्ता में सुधार:
    इस व्यवस्था से खानपान की गुणवत्ता पर निगरानी रखी जाएगी। वेंडरों को खाद्य सामग्री की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए मजबूर किया जाएगा, जिससे यात्रियों को बेहतर अनुभव मिलेगा।
  3. वेंडरों का जिम्मेदार बनना:
    जब वेंडरों की पहचान और कार्यशैली पर निगरानी रखी जाएगी, तो वे अधिक जिम्मेदार होंगे। उन्हें यह डर होगा कि किसी भी प्रकार की अनियमितता या शिकायत की स्थिति में उनकी पहचान को सार्वजनिक किया जाएगा, जो उनके व्यवसाय को प्रभावित कर सकता है।
  4. दुरुपयोग की संभावना कम होगी:
    यह व्यवस्था दुरुपयोग की संभावना को भी कम करेगी, क्योंकि हर वेंडर की जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी और किसी भी मामले में उसकी पहचान की पुष्टि की जा सकेगी। यह प्रशासन को वेंडरों के कार्यों पर कड़ी निगरानी रखने में मदद करेगा।

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