बलिया/बांसडीह, उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में बांसडीह चौराहे पर हुई एक बड़ी घटना ने जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। बुधवार को स्थानीय बिजली मिस्त्री राकेश शाह की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी, जिसके बाद उनके परिवार और मोहल्ले के लोग गुस्से में थे और उन्होंने मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। हालांकि, इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे तनाव और बढ़ गया। पुलिस प्रशासन के इस कदम के बाद क्षेत्राधिकारी (सीओ) प्रभात कुमार के खिलाफ सोशल मीडिया पर आरोप लगे, जिनमें महिलाओं को धमकी देने और उनकी पिटाई करवाने का मामला भी सामने आया।
सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, सीओ प्रभात कुमार का स्थानांतरण कर दिया और उन्हें कानपुर नगर भेज दिया। वहीं, अलीगढ़ में तैनात क्षेत्राधिकारी जय शंकर मिश्र को बलिया स्थानांतरित किया गया है। यह घटना न केवल पुलिस प्रशासन के लिए एक कड़ा संदेश है,
क्या थी पूरी घटना सीओ प्रभात कुमार का स्थानांतरण का
बुधवार को बलिया जिले के बांसडीह क्षेत्र में राकेश शाह नामक बिजली मिस्त्री की मृत्यु एक दुर्घटना में हो गई थी। राकेश शाह बिजली का काम कर रहे थे, जब अचानक किसी कारणवश उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद उनके परिवार और मोहल्ले के लोग गुस्से में थे, क्योंकि वे यह मानते थे कि यह दुर्घटना प्रशासन की लापरवाही के कारण हुई थी। मृतक के परिवार ने प्रशासन से मुआवजा देने की मांग की थी और इसके साथ ही वे चाहते थे कि इस मामले में मुकदमा दर्ज किया जाए।
इस मांग को लेकर परिजनों और मोहल्लावासियों ने मृतक का शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। उनका आरोप था कि प्रशासन ने समय पर मदद नहीं की और इस वजह से राकेश शाह की जान चली गई। इस दौरान, इलाके में भारी भीड़ जमा हो गई और सड़क को जाम कर दिया गया।
प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या और उनका गुस्सा पुलिस के लिए एक चुनौती बन गया। पहले तो पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब हालात और बिगड़े और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई, तो पुलिस ने बल प्रयोग करना शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं और इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
लाठीचार्ज के बाद इलाके में भगदड़ मच गई। खासकर महिलाओं ने पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उनकी इस प्रतिक्रिया को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी आलोचनाएं शुरू हो गईं। आरोप लगे कि क्षेत्राधिकारी प्रभात कुमार ने महिलाओं को धमकाया और उनकी पिटाई करवाने का आदेश दिया था। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि लाठीचार्ज पूरी तरह से अत्यधिक था और इससे कई लोग घायल हुए हैं।
इस घटना के बाद, बलिया में जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों का एक बड़ा समूह सड़कों पर उतर आया और उन्होंने सीओ प्रभात कुमार के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि सीओ की कार्यशैली पूरी तरह से निर्दयी और असंवेदनशील थी। उनका यह भी आरोप था कि पुलिस की कार्रवाई में न तो किसी प्रकार की संवेदनशीलता दिखाई गई और न ही प्रदर्शनकारियों के साथ संवाद करने की कोशिश की गई।
सोशल मीडिया पर विरोध
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई। लोगों ने वीडियो और फोटो पोस्ट किए, जिनमें पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज को देखा जा सकता था। महिलाओं की पिटाई और प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस की दुर्व्यवहार की घटनाओं ने समाज के विभिन्न वर्गों से तीखी प्रतिक्रियाएं प्राप्त की। खासकर महिलाओं ने इस लाठीचार्ज की आलोचना की और इसे पुलिस की हिंसक कार्रवाई करार दिया।
सोशल मीडिया पर आरोप लगने के बाद, प्रशासन ने मामले की जांच शुरू की। वीडियो क्लिप्स और अन्य सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर, पुलिस और प्रशासन पर दबाव बढ़ने लगा। वहीं, इलाके के नेताओं और सामाजिक संगठनों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की।
प्रभात कुमार का स्थानांतरण
प्रदर्शनकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा किए गए विरोध और सोशल मीडिया पर दबाव के कारण, सरकार ने क्षेत्राधिकारी प्रभात कुमार का स्थानांतरण कर दिया। शासन ने उन्हें कानपुर नगर के लिए स्थानांतरित कर दिया और इसके साथ ही बलिया के लिए अलीगढ़ में तैनात क्षेत्राधिकारी जय शंकर मिश्र को भेजा। इस कदम को शासन की तरफ से एक सख्त संदेश माना जा रहा है, ताकि पुलिस प्रशासन को अपने कार्यों में अधिक जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का प्रदर्शन करना पड़े।
प्रभात कुमार के स्थानांतरण के बाद, कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इसे प्रशासन की जिम्मेदारी से भागने की कोशिश बताया। उनका कहना था कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि लाठीचार्ज के आदेश देने में किसकी भूमिका थी और क्या वह कार्रवाई सही थी।