डॉ. वेंकटेश मौआर की मौत: पत्नी ने साजिशकर्ता फार्मेसी संचालक पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की

बांसडीह के सीएचसी अधीक्षक रहे डॉ. वेंकटेश मौआर की पत्नी प्रियंका मौआर ने बृहस्पतिवार को जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह को आवेदन देते हुए आरोप लगाया कि उनके पति की मौत एक सोची समझी साजिश है। प्रियंका ने फार्मेसी संचालक और कुछ अन्य लोगों पर अपने पति को फंसाने और उनके जीवन के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। प्रियंका ने डीएम से इस मामले में मुकदमा दर्ज करने की गुहार लगाई और चेतावनी दी कि अगर कार्रवाई नहीं होती तो वह शुक्रवार को पूरे परिवार के साथ डीएम कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठेंगी। प्रियंका का यह आवेदन मुख्यमंत्री, चिकित्सक और कर्मचारी संगठन को भी भेजा गया है।

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क्या था पूरा मामला ?

प्रियंका मौआर का आरोप है कि उनके पति डॉ. वेंकटेश मौआर को एक सोची साची साजिश के तहत रिश्वतखोरी के आरोप में फंसाया गया। प्रियंका के अनुसार, फार्मेसी संचालक अजय तिवारी ने एक साल पहले डॉ. वेंकटेश से उधार पैसे लिए थे और वह इस पैसे को लौटा नहीं पा रहे। 12 जून, 2023 को जब उधारी का भुगतान करने का समय आया, तो अजय तिवारी ने पूरी योजना बनाकर अपने रिश्तेदारों और कुछ विजिलेंस अधिकारियों के साथ मिलकर डॉ. वेंकटेश को रिश्वत के मामले में फंसाया। इसके बाद डॉ. वेंकटेश को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया।

प्रियंका के मुताबिक, 16 जून को डॉ. वेंकटेश की जेल में ही मौत हो गई। उनका आरोप है कि यह मौत साजिश थी, क्योंकि उन्हें किसी गलत मामले में फंसाने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया था। प्रियंका ने 18 जून को बांसडीह कोतवाली प्रभारी को तहरीर देकर इस मामले में केस दर्ज करने की मांग की थी, लेकिन अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। प्रियंका का कहना है कि इस पूरे मामले में फार्मेसी संचालक अजय तिवारी के अलावा कुछ और लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने उनके पति की जान ले ली।

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प्रियंका की शिकायत के बाद, सीएचसी के चिकित्सक और कर्मचारियों ने भी इस मामले में अपना समर्थन जताया है। चिकित्सकों और कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि डॉ. वेंकटेश मौआर को गलत तरीके से फंसाया गया और उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया। इसके विरोध में सीएचसी के चिकित्सकों और कर्मचारियों ने एक अनिश्चितकालीन हड़ताल और कार्य बहिष्कार की घोषणा की, जिसका परिणाम यह हुआ कि तीसरे दिन ओपीडी (आउटडोर पेशेंट डिपार्टमेंट) बंद रहा। इस हड़ताल और कार्य बहिष्कार के कारण इलाज के लिए आए मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि, इमरजेंसी सेवाओं को जारी रखा गया, और मरीजों का इलाज किया गया।

इस हड़ताल के दौरान, स्वास्थ्यकर्मियों ने हाथों में तख्तियां पकड़ी हुई थीं, जिन पर प्रकरण से जुड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही थी। इन कर्मचारियों का कहना था कि डॉ. वेंकटेश मौआर को जानबूझकर फंसाया गया था और उनके साथ जो कुछ भी हुआ, वह पूरी तरह से एक साजिश का हिस्सा था। उनका आरोप है कि फार्मेसी संचालक अजय तिवारी ने जानबूझकर उन्हें रिश्वतखोरी के मामले में फंसाया और इसके बाद मानसिक दबाव में डालकर डॉ. वेंकटेश को जेल भेज दिया। स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि डॉ. वेंकटेश की मौत के लिए पूरी तरह से साजिश करने वाले लोग जिम्मेदार हैं, और उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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