शक्ति दुबे, जो यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2024 में टॉप करने में सफल रही हैं, उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से न केवल खुद को, बल्कि अपने परिवार और पूरे क्षेत्र को गर्व महसूस कराया है। सीएसई 2024 के टॉपर शक्ति दुबे का जन्म 1996 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के दोकटी थाना क्षेत्र के रामपुर मुतलके बाजिदपुर गांव में हुआ था। उनकी सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत, परिवार का समर्थन और एक दृढ़ नायक की तरह लक्ष्य की ओर बढ़ने की कहानी है।
शक्ति के पिता देवेंद्र कुमार दुबे, जो उत्तर प्रदेश पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं, प्रयागराज में कार्यरत हैं। उनका जीवन हमेशा से ही कड़ी मेहनत और ईमानदारी का प्रतीक रहा है, और उन्होंने अपने बच्चों को हमेशा यही सिखाया। शक्ति की मां का नाम रेखा दुबे है, और वह भी घर के कामकाज और बच्चों की पढ़ाई में पूरी तरह से समर्पित रही हैं। शक्ति के परिवार का यह मानना है कि सफलता मेहनत, समर्पण और सही दिशा में की गई मेहनत से ही मिलती है।
शक्ति के शिक्षा यात्रा
शक्ति की शिक्षा यात्रा भी प्रेरणादायक रही है। उन्होंने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा प्रयागराज के सेंट मैरिज कांवेंट स्कूल से की। यहां पर न केवल उन्होंने अकादमिक उत्कृष्टता प्राप्त की, बल्कि संस्कारों और जीवन मूल्यों को भी समझा। कक्षा 12 तक की पढ़ाई के दौरान ही शक्ति के मन में यूपीएससी परीक्षा को लेकर एक स्पष्ट लक्ष्य बन चुका था। उन्होंने हमेशा से ही यह तय किया था कि वह एक दिन सिविल सर्विसेज में शामिल होंगी और देश की सेवा करेंगी।
इसके बाद, शक्ति ने अपनी बीएससी की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की और फिर एमएससी की डिग्री बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) से की। इन दोनों विश्वविद्यालयों से मिली शिक्षा ने शक्ति को एक मजबूत अकादमिक आधार प्रदान किया, जिसने उन्हें यूपीएससी की कठिन परीक्षा की तैयारी के लिए तैयार किया।
परिवार का रहा पूरा समर्थन
शक्ति के परिवार का योगदान उनकी सफलता में अहम रहा है। उनके बड़े पिता, राम कृष्ण दूबे, जो बैरिया तहसील में रजिस्टार पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, और परिवार के अन्य सदस्य हमेशा उनके साथ खड़े रहे। शक्ति के पिता देवेंद्र दूबे की कड़ी मेहनत और ईमानदारी के कारण ही उनके बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन मिला। देवेंद्र दूबे का यह मानना है कि बच्चों को अपनी कड़ी मेहनत और लक्ष्य के प्रति समर्पण से कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है।
शक्ति की मां रेखा दुबे ने भी घर में एक सकारात्मक माहौल बनाया और हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया। शक्ति के परिवार का यह मानना है कि एक अच्छी शिक्षा और संस्कार ही व्यक्ति को सही दिशा में ले जा सकते हैं।
पहले प्रयास में सफलता के करीब
शक्ति ने अपने पहले प्रयास में भी यूपीएससी की परीक्षा में नहीं मिल पाया सफलता , और इस बार वह इंटरव्यू तक पहुंचने में सफल रही थीं। हालांकि, वह पहली बार में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई थीं, लेकिन उनकी कोशिशों ने उन्हें अगले प्रयास में सफलता दिलाने की प्रेरणा दी। पहले प्रयास के दौरान उन्हें इंटरव्यू तक का सफर तय करने का मौका मिला, जिससे उन्हें यह एहसास हुआ कि सफलता किसी एक प्रयास से नहीं मिलती, बल्कि निरंतरता और कड़ी मेहनत से हासिल होती है।
यह अनुभव शक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि उसने इस सफर के दौरान बहुत कुछ सीखा, और इसने उसे अगले प्रयास में और भी ज्यादा आत्मविश्वास और स्पष्टता दी।
दूसरा प्रयास और सफलता
दूसरे प्रयास में शक्ति ने पूरी तैयारी के साथ यूपीएससी की परीक्षा में भाग लिया। उन्होंने अपने अनुभवों से बहुत कुछ सीखा और उसी दिशा में अपनी तैयारी को बेहतर किया। उनके दृढ़ संकल्प और मेहनत ने उन्हें इस बार यूपीएससी परीक्षा में अव्वल आने का मौका दिया। शक्ति के इस संघर्ष ने यह साबित कर दिया कि यदि किसी के पास अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण और मेहनत हो, तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
पैतृक गांव में जश्न
जब शक्ति के यूपीएससी परीक्षा में टॉप करने की खबर उनके पैतृक गांव में पहुंची, तो पूरे गांव में खुशी का माहौल था। गांव के लोग गर्व से कहते हैं कि एक और बेटी ने पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। शक्ति के परिवार के सदस्य, उनके दोस्त और रिश्तेदारों ने मिलकर उनके इस सफलता पर जश्न मनाया।
शक्ति की इस सफलता से यह भी संदेश जाता है कि भारत के छोटे गांवों से भी लोग बड़े मुकाम हासिल कर सकते हैं, बस जरूरत है तो सही दिशा में मेहनत और परिवार के समर्थन की।
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