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घोटाला: फर्जी बीपीएल प्रमाण पत्र के आधार पर आंगनबाड़ी नियुक्तियां रद्द

Scam: Anganwadi appointments cancelled on the basis of fake BPL certificate

Scam: Anganwadi appointments cancelled on the basis of fake BPL certificate

हाल ही में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें बीपीएल ( Below Poverty Line) प्रमाण पत्रों के माध्यम से सरकारी नौकरी पाने का प्रयास किया गया। यह मामला तहसील बलिया के सदर क्षेत्र से संबंधित है, जिसमें दो महिलाओं ने फर्जी बीपीएल प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। इस मामले में प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए दोनों महिला आवेदिकाओं की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी है।

मामला तब सामने आया जब एक महिला, जो गुड़िया नाम की थी, अपने पति मनीष कुमार के साथ एक स्थानीय सरकारी दफ्तर में शिकायत दर्ज कराने पहुंची। उनके अनुसार, आरोपियों ने उनका गला दबाकर जान से मारने की कोशिश की थी। महिला की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया और महिला के परिवार के सदस्यों से पूछताछ की। इसके बाद जब मामले की तहकीकात की गई तो कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आईं, जो सरकारी सेवाओं में धांधली और अनियमितताओं को उजागर करने वाली थीं।

क्या था पूरा मामला

मुख्य राजस्व अधिकारी ओजस्वी राज ने बताया कि प्राप्त शिकायतों के आधार पर तहसीलदार सदर से मामले की विस्तृत जांच कराई गई। तहसीलदार की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि गुड़िया, जो मनीष कुमार की पत्नी थीं, और अमृता दुबे, जो आलोक कुमार दुबे की पत्नी थीं, दोनों ने बीपीएल प्रमाण पत्र का उपयोग कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी के लिए आवेदन किया था। इन दोनों महिलाओं ने अपने परिवार की मासिक आय को 3800 रुपये से कम दर्शाया था, जो बीपीएल श्रेणी के तहत आने के लिए आवश्यक था। हालांकि, तहकीकात में यह पाया गया कि दोनों महिलाओं के परिवारों के सदस्य सरकारी सेवाओं में कार्यरत थे और इस आधार पर वे बीपीएल श्रेणी में नहीं आते थे।

जब मामले की गहराई से जांच की गई तो यह पता चल कि फर्जी बीपीएल प्रमाण पत्र बनाने में लेखपाल दिव्यांशु कुमार यादव का हाथ था। लेखपाल ने इन महिलाओं के साथ मिलकर फर्जी बीपीएल प्रमाण पत्र तैयार किए और इन्हें सरकारी नियुक्ति के लिए इस्तेमाल किया। लेखपाल की संलिप्तता से यह मामला और भी गंभीर हो गया, क्योंकि उसने सरकारी दस्तावेजों की मंशा के खिलाफ काम किया था।

सीडीओ (Chief Development Officer) ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए बताया कि इन दोनों महिलाओं की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर की गई नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। इसके अलावा, सीडीपीओ (Child Development Project Officer) को आदेश दिए गए हैं कि इन महिलाओं के खिलाफ एफआईआर (First Information Report) दर्ज की जाए और उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। सीडीओ ने यह भी कहा कि लेखपाल दिव्यांशु कुमार यादव के खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी गई है और इस मामले में उसकी दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

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