बलिया, उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे सड़क निर्माण का काम आजकल खुद एक बड़ा सवाल बन चुका है। जहां एक तरफ सड़कें बेहतर होना जरूरी हैं, वहीं दूसरी तरफ जो सड़कें बन रही हैं, उनकी गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। बिना किसी देखरेख के ये सड़कें इतनी खराब तरीके से बनाई जा रही हैं कि जैसे बस चिप्पी चिपकाई जा रही हो। ऐसे हालात में सड़क की दुर्गति देख कर ऐसा लगता है कि इन निर्माण का मकसद सिर्फ पैसा बनाना और कमीशन कमाना है, ना कि कोई असली सुविधा देना।
सड़क निर्माण में क्या हो रही घटनाएँ?
बलिया के ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे सड़क निर्माण का काम खुद ही एक भूलभुलैया बन चुका है। ये सड़कें न सिर्फ किसी भी अच्छे मानकों को पूरा नहीं करतीं, बल्कि इनकी बनावट और संरचना इतनी कमजोर होती है कि कुछ समय बाद ये सड़कें बर्बाद हो जाती हैं। ग्रामीण इलाकों की बात करें तो, वहां की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि ये सड़कें बनाने वाले ठेकेदार अपने काम को सिर्फ पैसा कमाने का एक जरिया समझ रहे हैं, बिना किसी इंसानियत और असली मानकों का ध्यान रखे। सड़क निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपए की लूट हो रही है, लेकिन कोई भी आगे आकर इस बात का प्रमाण नहीं दे रहा है।
कमीशन का खेल
जब हम इसके पीछे के कारणों को समझते हैं, तो एक बात सामने आती है—कमीशन की गठबंधन। सड़क निर्माण के काम में लगातार ऐसी ही चीजें होती हैं जो पहले तो दाम को बढ़ा देती हैं, और फिर उन्हीं बढ़े हुए दामों पर कमीशन का खेल चलता है। यह कमीशन सभी रास्तों से बीच में चलती है—ठेकेदारों, इंजीनियरों और उनके ऊपर वाले सभी लोग इसमें शामिल होते हैं। सभी को अपने-अपने हिस्से का लाभ मिलता है और फिर यहां से अच्छी सड़क नहीं, बल्कि घटिया और बेकार सड़क बन जाती है।
क्या सड़क की कार्यवाही की गुणवत्ता सही है?
अगर हम बात करें उन सड़कों की जो बनाई जा रही हैं, तो उनमें गुणवत्ता काफी खतरनाक है। कुछ जगहों पर तो सड़क की असफाल्ट भी जल्दी से ऊपर से उखड़ जाती है, या फिर बहुत सस्ती सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। नए सड़क बनाने के बजाय पुरानी सड़कों को सिर्फ जल्दी से थोड़ा ठीक दिखाने का काम किया जा रहा है, लेकिन असली सुधार और इम्प्रूवमेंट की कोई बात नहीं हो रही है।
आवाज़ उठाने वाला कोई नहीं
यह सब देखते हुए, एक और सवाल उठता है: क्या बलिया में कोई है जो इस घोटाले के खिलाफ आवाज उठाए? क्या कोई सरकारी अफसर, नेता, या आर्थिक सभा में किसी को यह दिखाई देता है? क्या बलिया के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं? दुनिया के हर कोने में हर एक शहर, गांव में ऐसे घोटालों के खिलाफ आवाज उठती है, लेकिन यहां लोग या तो बेचैन हैं या फिर उन्हें डर है कि अगर उन्होंने कुछ बोला तो उनका भी कुछ खतरा हो सकता है।
समस्या के समाधान की आवश्यकता
यह समस्या तभी दूर हो सकती है जब ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण का काम ज्यादा पारदर्शी हो और उसमें सारी कम्युनिटी, लोकल गवर्नेंस और पब्लिक को शामिल किया जाए। अगर यह काम सही तरीके से किया जाए, तो न सिर्फ सड़कों की गुणवत्ता सुधर सकती है, बल्कि इससे ग्राम विकास भी होगा। इसमें सबसे जरूरी है एक सख्त मॉनीटरिंग सिस्टम का होना और सही ऑडिटिंग का काम, ताकि घोटालों को रोका जा सके।
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