समाजवादी पार्टी के लोग पिल्ली-पिल्ला पाल लिए हैं | अब ये क्या बोल गए मंत्री जी

समाजवादी पार्टी के लोग पिल्ली-पिल्ला पाल लिए हैं | अब ये क्या बोल गए मंत्री जी

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा ही बयानों और हमलों का सिलसिला चलता रहता है। इन बयानों से नेता अपनी छवि को चमकाने या फिर विरोधी को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। हाल ही में, यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर अपने एक ताजे बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। शुक्रवार देर शाम, उन्होंने रसड़ा स्थित अपने कार्यालय पर एक बयान दिया जिसमें उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा हमला बोला। इस बयान में ओमप्रकाश राजभर ने सपा के नेताओं के खिलाफ कुछ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया और कहा कि सपा के लोग “पिल्ली-पिल्ला पाल के देशी कुत्तों की तरह भौंक रहे हैं।”

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इस बयान के बाद, यूपी की राजनीति में एक नई हलचल मच गई है। ओमप्रकाश राजभर की यह टिप्पणी सपा के खिलाफ उनकी नाराजगी को जाहिर करती| है, इसके साथ ही उन्होंने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पार्टी के सांसद रमाशंकर राजभर को भी निशाने पर लिया।

ओमप्रकाश राजभर का बयान और सपा पर हमला

ओमप्रकाश राजभर का यह बयान एक तरह से समाजवादी पार्टी पर सीधा हमला था। राजभर ने समाजवादी पार्टी के नेताओं के बारे में कहा कि वे “देशी कुत्तों” की तरह भौंक रहे हैं, जो शायद पार्टी के अंदर हो रहे बदलावों और घटनाओं पर उनके गुस्से का परिणाम था। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के कुछ लोग अपना वक्त और ऊर्जा ग़लत दिशा में लगा रहे हैं, जबकि उनकी पार्टी में हर जाति और धर्म के लोग शामिल हैं और उन्हें बोलने की स्वतंत्रता दी गई है।

उन्होंने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया कि सपा में हर नेता एक “लोडर” के रूप में काम करता है, जो अपने मालिक की इच्छा पर काम करता है, जबकि वह खुद एक “लीडर” हैं जो अपनी मर्जी से काम करते हैं।

अखिलेश यादव और रमाशंकर राजभर का संदर्भ

इस विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब अखिलेश यादव ने ओमप्रकाश राजभर के मुकाबले सपा सांसद रमाशंकर राजभर को पार्टी में प्रमुख भूमिका में लाने की घोषणा की। यह कदम ओमप्रकाश राजभर के लिए एक बहुत ही बड़ा झटका था, क्योंकि वे खुद को सपा में अहम नेता मानते थे। ओमप्रकाश राजभर ने इस में जवाब देते हुए कहा कि “एक लोडर होता है जो अपने मालिक की मर्जी से काम करता है, और एक लीडर होता है जो अपनी मर्जी से काम करता है।” यह बयान सपा द्वारा अपने नेता को कमजोर करने की कोशिशों के खिलाफ उनका पलटवार था।

सपा के भीतर का असंतोष

राजभर का यह बयान सिर्फ एक व्यक्तिगत हमलावर टिप्पणी नहीं था, बल्कि यह सपा के भीतर गहरे असंतोष और नेताओं के बीच मौजूदा मतभेदों का संकेत भी है। सपा में अक्सर आरोप लगते रहे हैं कि पार्टी में केवल कुछ ही लोग ही प्रभावी हैं, और बाकी नेताओं को अपने विचार रखने की स्वतंत्रता नहीं दी जाती। ओमप्रकाश राजभर ने अपनी पार्टी को एक परिवार की तरह बताया है, जिसमें हर व्यक्ति की राय और विचारों को सम्मान दिया जाता है।

ओमप्रकाश राजभर की राजनीति में स्थिति

ओमप्रकाश राजभर की राजनीति में स्थिति हमेशा ही विवादों के बीच रही है। वह पहले समाजवादी पार्टी से जुड़े थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी, “सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी” (SBSP) बनाई। इस पार्टी के माध्यम से वह उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरे। ओमप्रकाश राजभर के साथ उनके पार्टी के नेता और समर्थक भी जुड़े हैं, जो उनके नेतृत्व में एक नई दिशा की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

राजभर ने हमेशा ही पिछड़ी जातियों और वंचित वर्गों के लिए अपनी आवाज उठाई है, और उनकी पार्टी का मुख्य ध्यान समाज के इस वर्ग की समस्याओं को हल करने पर है। हालांकि, उनकी पार्टी को अभी तक उत्तर प्रदेश की राजनीति में वह व्यापक समर्थन नहीं मिल सका है, जो वह चाहते थे। फिर भी, ओमप्रकाश राजभर का यह बयान उनकी राजनीति में उनके संघर्ष और विवादों का एक अहम हिस्सा बन चुका है।

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