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बलिया में मासूम बच्चों की आपबीती: जि़लाधिकारी से न्याय की गुहार

बलिया में मासूम बच्चों की आपबीती: जि़लाधिकारी से न्याय की गुहार

बलिया में मासूम बच्चों की आपबीती: जि़लाधिकारी से न्याय की गुहार

बलिया जिले के रामपुर महावल निवासी दो मासूम बच्चे, ऋषभ सिंह (6) और रितिका सिंह (5), जिनकी जिंदगी बेहद कठिन हालातों में बसर हो रही है, सोमवार को अपनी मदद के लिए जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। इन बच्चों का जीवन बेहद कठिन और संघर्षपूर्ण रहा है, क्योंकि न केवल उनके माता-पिता का निधन हो चुका है, बल्कि वे अपने रिश्तेदारों से भी धोखा का शिकार हो रहे हैं। बच्चों की कड़ी मेहनत से पूरी दुनिया से न्याय की उम्मीद में उनका दिल तड़प रहा था, लेकिन जिला प्रशासन से उन्हें उम्मीद की किरण मिली।

ऋषभ और रितिका अपने नाना राधेश्याम खरवार के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। यह दोनों बच्चे अपनी व्यथा को जिलाधिकारी के सामने रख रहे थे। उनका कहना था कि उनके माता-पिता की मौत बीमारी के कारण हो गई थी, और इस कठिन समय में उनके रिश्तेदारों ने उन्हें और उनके परिवार को छोड़ दिया। उनके घर का ताला लगा हुआ है, और रिश्तेदारों ने उनकी मां के आभूषण भी अपने पास रख लिए हैं। इन मासूम बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया था, लेकिन अब उन्होंने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई।

परिवार की दुखद कहानी

ऋषभ और रितिका के नाना राधेश्याम खरवार ने अपनी बेटी सपना और दामाद रोशन की दुखद कहानी सुनाई। राधेश्याम जी ने बताया कि उनकी बेटी सपना की मृत्यु दो साल पहले बीमारी से हो गई थी। सपना और राधेश्याम के दामाद रोशन की दुखद मौत के बाद, पड़ोसियों के द्वारा उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से इतना प्रताड़ित किया गया कि वह भी बीमार हो गए और एक साल पहले उनका निधन हो गया। अब, इन मासूम बच्चों का पालन-पोषण राधेश्याम ही कर रहे हैं।

राधेश्याम जी ने जिलाधिकारी से यह शिकायत की कि उनकी बेटी और दामाद की मृत्यु के बाद, उनके रिश्तेदारों ने बच्चों के अधिकारों का हनन किया। बच्चों की मां के आभूषण और अन्य संपत्ति को रिश्तेदारों ने हड़प लिया। इसके अलावा, घर में ताला लगाकर रखा गया है, जिससे बच्चों को किसी भी तरह का घर या सुरक्षित स्थान नहीं मिल रहा। राधेश्याम जी ने कई बार जिले के अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन उन्हें कहीं से भी न्याय नहीं मिला।

उन्होंने मुख्यमंत्री बाल संरक्षण योजना के तहत वजीफे के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला। इसके अलावा, बाल सेवायोजन के तहत भी आवेदन किया था, लेकिन उन आवेदन पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। राधेश्याम जी का कहना है कि उनकी बेटी और दामाद की मृत्यु के बाद, बच्चों के भविष्य के लिए कोई भी सरकारी योजना या सहायता नहीं मिल रही है, जिससे उनकी जिंदगी में और भी कठिनाइयां बढ़ गई हैं।

जिलाधिकारी से सहायता की उम्मीद

राधेश्याम जी ने जिलाधिकारी से आग्रह किया कि बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए ताकि उनका पालन-पोषण सही तरीके से हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को अच्छे शैक्षिक अवसर मिलें, ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके। रितिका का दाखिला कस्तूरबा गांधी विद्यालय में कराया जाए और ऋषभ का दाखिला नवोदय विद्यालय में किया जाए, ताकि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके।

इसके अलावा, उन्होंने जिलाधिकारी से यह भी मांग की कि बच्चों के मामले की जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। राधेश्याम जी ने यह भी कहा कि बच्चों को मिलने वाले सरकारी लाभ से बच्चों का जीवन थोड़े समय में ही बेहतर हो सकता है, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो।

जिलाधिकारी की प्रतिक्रिया

जिलाधिकारी ने बच्चों की कहानी को गंभीरता से सुना और राधेश्याम जी की समस्याओं पर ध्यान दिया। उन्होंने बच्चों की समस्या को समझते हुए संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया कि वे मामले की जांच करें और बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ तुरंत मुहैया कराएं। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में भी पूरा समर्थन दिया जाएगा, ताकि वे अपने जीवन को बेहतर बना सकें और उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।

जिलाधिकारी ने बच्चों से भी बातचीत की और उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें हर संभव सहायता दी जाएगी। उनका कहना था, “आप दोनों को पूरी सहायता दी जाएगी और आपके साथ कोई भी अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।” जिलाधिकारी के इस सकारात्मक और संवेदनशील जवाब ने बच्चों और उनके नाना को एक नई उम्मीद दी।

रिपोर्ट: अभिषेक , (स्थानीय रिपोर्टर, Ballia)

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