बलिया जिले के सदर तहसील क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया है,जहा फर्जीवाड़ा करने पर लेखपाल को निलंबित कर दिया गया है | आंगनबाड़ी नियुक्तियों में फर्जी आय प्रमाण पत्र के माध्यम से अवैध लाभ प्राप्त करने का आरोप लगा है। इस मामले में एसडीएम सदर ने तत्काल प्रभाव से लेखपाल दिव्यांशु कुमार यादव को निलंबित कर दिया है, जो कि मामले में मिले पाए गए हैं। इसके साथ ही जिला अधिकारी (सीडीओ) ने संबंधित दो आवेदिकाओं की नियुक्ति को निरस्त करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के भी निर्देश दिए हैं।
पूरा मामला क्या था?
यह मामला सदर तहसील के बेलहरी ब्लॉक के दो आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़ा है – बजरहा और रेपुरा। दोनों केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही थी, और आवेदिकाओं ने बीपीएल (Below Poverty Line) प्रमाण पत्र के आधार पर आवेदन किया था। इन दोनों आवेदिकाओं ने अपने परिवार की मासिक आय को 3800 रुपये से कम दर्शाकर सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की कोशिश की थी।
आवेदिकाओं की पहचान गुड़िया पत्नी मनीष कुमार (रेपुरा) और अमृता दुबे पत्नी आलोक कुमार दुबे (बजरहा) के रूप में की गई है। दोनों ने बीपीएल श्रेणी के तहत अपना आवेदन किया था, जबकि जांच में यह पाया गया कि उनके परिवार के सदस्य सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं और वे बीपीएल श्रेणी में नहीं आते हैं। इसके बावजूद, इन लोगों ने फर्जी आय प्रमाण पत्र बनवाकर आवेदन किया था।
जांच में खुलासा
इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब सीडीओ (Chief Development Officer) ने प्राप्त शिकायत के आधार पर तहसीलदार सदर से मामले की जांच करवाने का आदेश दिया। तहसीलदार ने जांच में पाया कि दोनों आवेदिकाओं के पारिवारिक सदस्य सरकारी विभागों में कार्यरत हैं, और उनकी आय 3800 रुपये से कहीं अधिक है। इसके बाद यह स्पष्ट हुआ कि फर्जी बीपीएल प्रमाण पत्रों को तैयार करने में लेखपाल दिव्यांशु कुमार यादव का हाथ था।
लेखपाल दिव्यांशु कुमार यादव क्षेत्र आमघाट में तैनात थे और उनके खिलाफ यह आरोप था कि उन्होंने जानबूझकर इन आवेदिकाओं को फर्जी आय प्रमाण पत्र जारी किया, जिससे वे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर नियुक्ति प्राप्त कर सकें।
एसडीएम का एक्शन और लेखपाल का निलंबन
मामला सामने आने के बाद एसडीएम अत्रेय मिश्रा ने तुरंत कार्रवाई करते हुए लेखपाल दिव्यांशु कुमार यादव को निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत की गई थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से हो सके और दोषी व्यक्ति को सजा मिले। एसडीएम अत्रेय मिश्रा ने कहा कि यह कदम सरकारी सेवाओं में विश्वास बनाए रखने के लिए आवश्यक था, क्योंकि इस तरह की घटनाओं से न केवल प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचता है, बल्कि सरकारी योजनाओं के प्रति लोगों का विश्वास भी कमजोर होता है।
आवेदिकाओं की नियुक्ति निरस्त
सीडीओ ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों आवेदिकाओं की नियुक्ति को निरस्त करने का आदेश दिया। इसके साथ ही, उन्होंने निर्देश दिए कि संबंधित आवेदिकाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। यह कदम इस तथ्य को उजागर करता है कि फर्जी प्रमाण पत्रों का निर्माण और उपयोग करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं का पुनरावृत्ति न हो।
आगे की कार्रवाई
फर्जी प्रमाण पत्रों के निर्माण में शामिल लेखपाल दिव्यांशु कुमार यादव के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जा चुकी है। इसके अलावा, मामले में पुलिस विभाग को भी सूचित किया गया है, ताकि एफआईआर दर्ज की जा सके और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके। तहसीलदार द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि लेखपाल ने अपनी जिम्मेदारी का उल्लंघन किया है और इस मामले में घोर लापरवाही दिखाई है।
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