बलिया। जिले में 108 और 102 नंबर की एंबुलेंस सेवा मरीजों को आपातकालीन मे स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्तमान में इन एंबुलेंसों का संचालन 76 से अधिक वाहनों के साथ किया जा रहा है, जिसमें काफी संख्या में एंबुलेंसें अब पुरानी हो चुकी थीं। इन पुरानी एंबुलेंसों के संचालन में कई तरह की समस्याएं आ रही थीं, जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। हालांकि, अब स्थिति में सुधार की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
हाल ही में 27 नई एंबुलेंसों को पुराने वाहनों के स्थान पर शामिल किया गया है, जिससे एंबुलेंस के बेड़े में सुधार हुआ है और मरीजों को बेहतर सेवाएं मिल रही हैं। इन नई एंबुलेंसों के शामिल होने से न केवल प्रतिक्रिया समय में सुधार हुआ है, बल्कि अब मरीजों को समय पर सही इलाज और मदद मिल सकेगी। इसके अलावा, 22 और नई एंबुलेंसों के आने की उम्मीद है, जिनके बाद लगभग सभी एंबुलेंसें नई हो जाएंगी। इस बदलाव के बाद, एंबुलेंस सेवा की गुणवत्ता में और भी सुधार होगा, जिससे मरीजों को बेहतर सुविधा मिलेगी और उनका इलाज समय पर हो सकेगा।
पुरानी एंबुलेंसों के संचालन में कई तरह की समस्याएं आ रही थीं। एक मुख्य समस्या यह थी कि इन एंबुलेंसों को स्टार्ट करने में दो से तीन मिनट का समय लगता था। वहीं, नई एंबुलेंसों में यह समय केवल 30 सेकंड में घट गया है, जिससे आपातकालीन सेवाओं में समय की अहमियत को देखते हुए इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। नई एंबुलेंसों में एयर कंडीशनिंग (एसी), दवाओं की कीट और ऑक्सीजन की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जो गर्मी के मौसम में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
गर्मियों मे मिलेगी राहत
हीटवेव के दौरान, पुरानी एंबुलेंसों में एसी की कमी के कारण कई मरीजों की स्थिति गंभीर हो गई थी, खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था। पिछली बार कई मामलों में, पुराने वाहनों में दम घुटने के कारण मरीजों की मृत्यु तक हो गई थी, लेकिन अब नई एंबुलेंसों के आने से ऐसी घटनाओं की संभावना काफी हद तक कम हो जाएगी।
बलिया का स्वस्थ ब्यवस्था का ये हाल
वर्तमान में, जिले में 108 नंबर की कुल 38 और 102 नंबर की भी 38 एंबुलेंस हैं, जिनका संचालन एक निजी कंपनी द्वारा किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग इन एंबुलेंसों के संचालन के एवज में कंपनी को भुगतान करता है। शासन ने निर्देश दिए थे कि इन एंबुलेंसों को लगभग दो लाख किलोमीटर चलने के बाद बदल दिया जाए। कर्मचारियों के अनुसार, पुरानी एंबुलेंसें निर्धारित मानकों से कहीं अधिक चल चुकी थीं, जिससे उनमें कई तरह की समस्याएं आ रही है । इन समस्याओं में प्रमुख तौर पर एसी की खराबी, दवाइयों की कमी, खराब टायर और खराब स्टार्टिंग की समस्या शामिल थीं। ऐसे में, जब मरीजों को जल्दी पहुंचने की जरूरत होती थी, तो ये पुरानी एंबुलेंसें अक्सर समय पर नहीं पहुंच पाती थीं। कई बार यह देखा गया कि एंबुलेंस एक घंटे की देरी से पहुंचती थीं, जिसके कारण मरीजों को या तो प्राइवेट एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता था, या फिर उन्हें निजी साधनों से अस्पताल जाना पड़ता था। इस तरह की देरी मरीजों के इलाज में विलंब कर देती थी, जो स्थिति को और भी जटिल बना देती थी।
अब, नई एंबुलेंसों के शामिल होने से इन समस्याओं का समाधान हुआ है। नई एंबुलेंसों में उच्च मानक की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जैसे कि मेडिकल उपकरणों के साथ-साथ एसी और ऑक्सीजन की सुविधा, जो किसी भी आपातकालीन स्थिति में मरीजों को राहत देती हैं। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इन नई एंबुलेंसों के संचालन में कोई देरी न हो, ताकि मरीजों को सही समय पर उचित इलाज मिल सके।
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