गंगा नदी का जलस्तर बढ़ा, बाढ़ का खतरा: 50,000 लोगों की आबादी प्रभावित

गंगा नदी के जलस्तर में हाल ही में आई तेजी ने आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ा दिया है। मंगलवार को गंगा नदी का जलस्तर दूसरी बार लाल निशान को पार कर चुका है और अब यह तेजी से मीडियम फ्लड लेवल की ओर बढ़ने लगा है। प्रत्येक घंटे जलस्तर में चार सेमी की बढ़ोतरी हो रही है, जिससे इलाके के लोग चिंतित हैं। प्रशासनिक अमला पूरी तरह अलर्ट मोड में है और बाढ़ से बचाव के उपायों को तेज कर दिया गया है। बाढ़ विभाग ने तटबंधों की निगरानी में और सख्ती लाने का निर्णय लिया है। आगामी दो-तीन दिनों तक जलस्तर के और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो अगले 24 घंटों में निचले इलाकों में पानी प्रवेश कर जाएगा और स्थानीय बस्तियों में बाढ़ का संकट उत्पन्न हो सकता है।

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गंगा नदी का जलस्तर और बढ़ते खतरे की स्थिति

वाराणसी कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार, गंगा नदी का जलस्तर प्रयागराज में 4 सेमी और गाजीपुर में 6 सेमी प्रति घंटा की गति से बढ़ रहा है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, मंगलवार की शाम 4 बजे गंगा नदी का जलस्तर गायघाट गेज पर 58.070 मीटर दर्ज किया गया था। गंगा नदी इस समय खतरे के निशान से 4.55 मीटर ऊपर बह रही है, जहां चेतावनी बिंदु 56.615 मीटर और खतरा बिंदु 57.615 मीटर है। अगर जलस्तर इसी गति से बढ़ता रहा तो मीडियम फ्लड लेवल 58.615 मीटर को पार कर जाएगा। हालाँकि, इस जलस्तर को लेकर प्रशासन द्वारा सतर्कता बरती जा रही है, लेकिन स्थिति गंभीर बनी हुई है। पिछले कुछ वर्षों में 2016 में गंगा का जलस्तर 60.390 मीटर तक पहुंच चुका था, जबकि 2021 में यह 60.250 मीटर तक पहुँच गया था।

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चक्की नौरंगा में कटान की समस्या

नदी का कटान भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। मंगलवार को गंगा की लहरों में लगभग 2 बीघे ज़मीन समा गई। नदी की बैक रोलिंग के कारण उसकी गति में वृद्धि हो रही है, जिससे तटबंधों की मजबूती पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय बाढ़ विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर जलस्तर की बढ़ोतरी इसी गति से जारी रही तो अगले दो-तीन दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है। प्रशासन ने तटबंधों पर निगरानी तेज कर दी है और संवेदनशील इलाकों में प्लास्टिक की बोरी में मिट्टी भरकर उसे मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, स्थानीय बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि बाढ़ विभाग की बचाव योजनाओं में वास्तविक प्रयास कम और दिखावा ज्यादा है। उनका आरोप है कि सरकारी धन का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि वास्तविक मदद और सुरक्षा की दिशा में कम काम हो रहा है।

50,000 की आबादी को बाढ़ का खतरा

गंगा और अन्य नदियों के जलस्तर में हो रही तेज बढ़ोतरी के कारण प्रशासन ने चेतावनी जारी की है कि अगले कुछ घंटों में करीब 50,000 की आबादी बाढ़ से प्रभावित हो सकती है। गंगा नदी का जलस्तर अब खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है और पानी तेजी से निचले इलाकों में फैलने लगा है। अगर जलस्तर की बढ़ोतरी इसी गति से जारी रही तो कई इलाके बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं, जिनमें जग छपरा, शुक्ल छपरा, मझौवां, रामगढ़, सुघर छपरा, दूबे छपरा, गोपालपुर, उदई छपरा, प्रसाद छपरा, बुधन चक, बड़का बुधन चक, चिन्ता मणी के टोला, आलम राय के टोला, मिश्र के हाता, गुदरी राय के टोला, वंश गोपाल छपरा, मुरली छपरा, पाण्डेयपुर, नौरंगा, भुआल छपरा, चक्की नौरंगा, उपाध्याय टोला, शतिघाट, भुसौला, नारदरा आदि तीन दर्जन से अधिक गांव शामिल हैं। इस स्थिति को देखते हुए लोग अपने घरों से आवश्यक सामान लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं।

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गंगा के जलस्तर में आगे बढ़ने की संभावना

वर्तमान में गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बाढ़ विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर जलस्तर में यह बढ़ोतरी जारी रही तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। प्रशासन ने इस संकट से निपटने के लिए लगातार तटबंधों पर निगरानी रखने का काम तेज कर दिया है। चक्की नौरंगा में कटान को रोकने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। बांस के सहारे कटान को रोकने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन नदी की ताकत इतनी बढ़ गई है कि इस प्रयास को सफलता मिलना मुश्किल प्रतीत होता है।

कन्हई ब्रह्म स्थान के पास कटान की स्थिति

ग्राम पंचायत गोपालपुर के दुबे छपरा क्षेत्र में स्थित कन्हई ब्रह्म बाबा स्थान के पास नदी का कटान तेजी से बढ़ रहा है। मंगलवार को इस कटान से लगभग एक बीघा ज़मीन नदी में समाहित हो गई। नदी के कटाव से स्थानीय लोगों में अफरा-तफरी मच गई है, क्योंकि कटान के इस प्रभाव से ग्राम पंचायत गोपालपुर के दुबे छपरा क्षेत्र का अस्तित्व संकट में है। कटान स्थल से केवल 100 मीटर की दूरी पर बालिका विद्यालय और 150 मीटर की दूरी पर अमरनाथ मिश्र डिग्री कॉलेज स्थित हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र की हजारों की आबादी भी प्रभावित हो सकती है। प्रशासन ने कटान की समस्या को लेकर बाढ़ विभाग के कर्मचारियों को सूचना दे दी है और अब बांस के सहारे कटान को रोकने की कोशिश की जा रही है।

सरयू नदी का जलस्तर और उसके प्रभाव

सरयू नदी का जलस्तर भी पिछले कुछ दिनों से बढ़ रहा था, लेकिन अब उसके जलस्तर में कमी आनी शुरू हो गई है। मंगलवार की शाम को जलस्तर 64.04 मीटर तक पहुंच गया था, जो कि लाल निशान 64.01 मीटर से ऊपर था। हालांकि, अब जलस्तर में लगातार कमी आ रही है, जिससे बाढ़ का खतरा फिलहाल टल गया है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार अगले 24 घंटे में जलस्तर में और कमी आने की संभावना है। इसके बावजूद, तटवर्ती गांवों के लोग नदी के मिजाज को लेकर सतर्क हैं, क्योंकि किसी भी समय जलस्तर में फिर से बढ़ोतरी हो सकती है।

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