बलिया खाद्यान्न घोटाला: ईओडब्ल्यू की क्रैक टीम ने आरोपी को किया गिरफ्तार, लाखों रुपये के गबन का मामला

बलिया खाद्यान्न घोटाला: ईओडब्ल्यू की क्रैक टीम ने आरोपी को किया गिरफ्तार, लाखों रुपये के गबन का मामला

ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) की क्रैक टीम ने बलिया जिले में एक बड़े खाद्यान्न घोटाले के आरोपी तत्कालीन कोटेदार सुनील कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी बलिया के फेफना थाना क्षेत्र के भीखमपुर गांव से हुई, जहां से उसे बीती शाम गिरफ्तार कर बनारस ले जाया गया। सुनील कुमार के खिलाफ खाद्यान्न के वितरण में गड़बड़ी और सरकारी धन के गबन के मामले में आरोप हैं। यह मामला विशेष रूप से 2002 से 2005 के बीच हुआ था, जब वह बलिया के गड़वार ब्लॉक में कोटेदार के रूप में कार्यरत था।

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इस घोटाले में 61 लाख रुपये के सरकारी धन के गबन का आरोप है, जिसे तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, ब्लॉक प्रमुख और अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर सुनील कुमार ने अंजाम दिया था। यह घोटाला संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (SGRY) के तहत हुआ था, जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर गांवों में विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए धन आवंटित किया था।

घोटाले की जानकारी

संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (SGRY) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करना और लोगों को उनके गांवों में ही कार्य करने के अवसर प्रदान करना था। इसके तहत विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए सरकारी धन का आवंटन किया गया था, जैसे कि नाली निर्माण, खड़ंजा, संपर्क मार्गों का निर्माण, सीसी (कंक्रीट) सड़कों का निर्माण और पुलियों का निर्माण आदि। यह कार्य 2002 से 2005 के बीच बलिया के गड़वार ब्लॉक के विभिन्न गांवों में होना था, लेकिन यह कार्य सही ढंग से नहीं हुआ।

आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, यह कार्य ना तो मानकों के अनुरूप था और ना ही पूरी तरह से संपन्न हुआ था। सबसे बड़ा घोटाला यह था कि इन निर्माण कार्यों के लिए जो मजदूरी दी जानी थी, उसमें भारी हेरफेर किया गया। मस्टर रोल में फर्जी श्रमिकों के नाम दर्ज किए गए और उन नामों पर खाद्यान्न का वितरण दिखा दिया गया, जबकि असल में वे श्रमिक कार्य में शामिल नहीं थे।

आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस मामले की जांच शुरू की और इस घोटाले में 10 आरोपियों की संलिप्तता पाई। इनमें से सुनील कुमार भी एक प्रमुख आरोपी था, जो तब बलिया के गड़वार ब्लॉक में कोटेदार के पद पर कार्यरत था। सुनील ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर फर्जी मस्टर रोल तैयार किया और उन पर नामांकित श्रमिकों को खाद्यान्न का आवंटन किया, जिससे सरकारी धन का गबन हुआ।

ईओडब्ल्यू की जांच और गिरफ्तारी

ईओडब्ल्यू की क्रैक टीम ने इस मामले की जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण साक्ष्य पाए , जिनसे यह स्पष्ट हो गया कि सुनील कुमार और उसके अन्य सहयोगियों ने सरकारी धन के गबन के लिए मिलकर साजिश रची थी। यह कार्य बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से किया गया था, ताकि फर्जी श्रमिकों के नाम पर सरकारी राशन और धन को अवैध रूप से हड़प लिया जा सके।

इंस्पेक्टर सुनील कुमार वर्मा, जो क्रैक टीम के प्रभारी थे, ने बताया कि इस घोटाले की जांच में पता चला कि तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, ब्लॉक प्रमुख और अन्य संबंधित अधिकारियों ने सुनील कुमार के साथ मिलकर इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया था। इन सभी आरोपियों ने सरकारी धन का गबन करने के लिए मिलकर काम किया और इस प्रक्रिया को पूरी तरह से छुपाने की कोशिश की।

ईओडब्ल्यू ने इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई की और सभी आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की। सुनील कुमार को गिरफ्तार कर बनारस भेजा गया, जहां उसकी पेशी होगी और आगे की जांच की जाएगी।

घोटाले के मुख्य आरोपी: सुनील कुमार

सुनील कुमार बलिया के फेफना थाना क्षेत्र के भीखमपुर गांव का रहने वाला है। वह 2002 से 2005 तक बलिया के गड़वार ब्लॉक में कोटेदार के पद पर कार्यरत था। कोटेदार का कार्य आमतौर पर राशन वितरण से संबंधित होता है, लेकिन इस मामले में सुनील कुमार ने अपनी जिम्मेदारी का गलत फायदा उठाया।

वह केवल फर्जी मस्टर रोल तैयार करने का कार्य नहीं कर रहा था, बल्कि उसने उन श्रमिकों को भी राशन का वितरण दिखा दिया, जो असल में काम पर ही नहीं आए थे। इस प्रक्रिया से 61 लाख रुपये का गबन हुआ, जो सरकारी खजाने से गायब हो गया।

घोटाले में अन्य आरोपियों की भूमिका

इस घोटाले में केवल सुनील कुमार ही नहीं, बल्कि कई अन्य अधिकारी भी शामिल थे। खंड विकास अधिकारी, ब्लॉक प्रमुख, ग्राम विकास अधिकारी और अन्य कर्मचारी इस गड़बड़ी में शमिल थे। इन अधिकारियों ने मिलकर मस्टर रोल पर फर्जी नाम अंकित किए और उन्हें राशन आवंटन के लिए इस्तेमाल किया। इस पूरी प्रक्रिया को जानबूझकर अंजाम दिया गया ताकि सरकारी धन का गबन किया जा सके।

जांच में पाया गया कि ये सभी आरोपी एक-दूसरे से मिले हुए थे और इस घोटाले को छुपाने के लिए एक-दूसरे की मदद कर रहे थे। यह घोटाला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक पूरी नेटवर्क की साजिश का हिस्सा था, जिसमें सरकारी धन की हेरफेर और भ्रष्टाचार का खेल खेला गया।

बलिया न्यूज के साथ अभिषेक

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