बलिया में बनेगा ऑटोमेटिक पीपा पुल, गंगा नदी पर यात्रा अब होगी आसान – जानें पूरी जानकारी!

Automatic Pipa bridge is being built in Ballia, travel on river Ganga will now be easy

19 january 2025 बलिया जिले के माल्देपुर और नौरंगा में गंगा नदी पर स्थायी ऑटोमेटिक पीपा पुलों का निर्माण किया जाएगा, जिससे क्षेत्र में जल परिवहन को सुगम बनाने के साथ-साथ बिहार के साथ यातायात की सुविधा भी बढ़ेगी। इस संबंध में उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री और उत्तर प्रदेश जलमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन, दयाशंकर सिंह ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उनका कहना है कि यह पीपा पुल अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाओं से लैस होगा और पानी पर तैरता रहेगा, जिससे बड़े जहाजों के आवागमन में कोई रुकावट नहीं आएगी।

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ऑटोमैटिक पीपा पूल कैसे काम करता है

ऑटोमेटिक पीपा पुलों का विशेष डिजाइन ऐसा होगा कि जब कोई बड़ा जहाज आ रहा होगा, तो पुल अपने आप खुलकर जहाज जाने का रास्ता देगा और फिर से अपने स्थान पर बंद हो जाएगा। इस प्रकार के पुलों से जलमार्गों में ट्रैफिक की रुकावटों को कम किया जाएगा, जिससे नदी मार्ग के जरिए परिवहन करने में अधिक सहूलियत होगी। इन पुलों के निर्माण से न सिर्फ जल परिवहन को और भी तेजी के साथ गति मिलेगी, बल्कि बलिया और आस-पास के क्षेत्रों में लोगों को बिहार जाने में भी सुविधा होगी।

यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार और भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के संयुक्त प्रयासों से लागू की जाएगी। इसके अलावा, इस प्रकार के स्वचालित पीपा पुलों का निर्माण गाजीपुर जिले के गहमर, सेमरा और चोचकपुर क्षेत्रों में भी किया जाएगा, जबकि वाराणसी में कैथी क्षेत्र में एक ऑटोमेटिक पीपा पुल का निर्माण होगा।

मंत्री ने बताया कि इस परियोजना के तहत, इन पुलों का रखरखाव दो वर्षों तक केंद्र सरकार की जिम्मेदारी में रहेगा, जिसके बाद यह जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पुलों के संचालन और रखरखाव में कोई कमी न हो और यह लंबे समय तक लोगों के लिए उपयोगी साबित हो।

ऑटोमैटिक पीपा पुल तकनीकी रूप से “सेल्फ प्रोपेल्ड पांटून (एमपीपी)” सिस्टम पर आधारित होगा, जो आधुनिक और उच्चतम स्तर की जल परिवहन तकनीक का हिस्सा है। यह प्रणाली पूरी तरह से स्वचालित होगी, जिससे पुल की संचालन प्रक्रिया में लोगों के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होगी। जलमार्गों पर बढ़ती यातायात की आवश्यकता को देखते हुए इस प्रकार के पुलों की आवश्यकता और भी बढ़ गई है, जो बड़े जहाजों के बिना किसी बाधा के संचालन को संभव बना सकें।

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