उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से एक प्रशासनिक मामला सामने आया है, जिसमें जल निगम (नगरीय) में प्रभारी अधिशासी अभियंता का कार्य देख रहे सहायक अभियंता अंकुर श्रीवास्तव को बर्खास्त कर दिया गया है। साथ ही, उन पर आरोप यह लगाया गया कि उन्होंने बिना शासनादेश और उच्च स्तर की अनुमोदन के सात फर्मों को 50 लाख रुपये की निर्माण सामग्री मुहैया कराई। इससे संबंधित मामले की जांच के बाद अंकुर श्रीवास्तव को दोषी पाया गया और उनके खिलाफ प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की है।
मामला क्या है?
अंकुर श्रीवास्तव पर आरोप था कि उन्होंने सरकारी दिशा-निर्देशों और प्रक्रियाओं को नजरअंदाज करते हुए सात निजी फर्मों को निर्माण सामग्री प्रदान कर दी थी। इन फर्मों को 50 लाख रुपये की सामग्री दी गई, लेकिन न तो इसके लिए शासन से आदेश लिया गया था और न ही सक्षम प्राधिकरण से अनुमोदन प्राप्त किया गया था। इस संबंध में शिकायत मिलने के बाद प्रशासन ने मामले की जांच शुरू की और दोष साबित होने पर उन्हें निलंबित कर दिया था। इसके बाद, जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन ने उन्हें बर्खास्त करने का आदेश दिया और साथ ही उनके द्वारा गबन की गई राशि की वसूली का आदेश भी जारी किया गया।
जांच की प्रक्रिया और निष्कर्ष
इस मामले में पहली बार 21 अगस्त 2023 को अंकुर श्रीवास्तव को निलंबित किया गया था, जब मामले की गंभीरता सामने आई। निलंबन के बाद जांच अधिकारियों ने पूरी प्रक्रिया की समीक्षा की। जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि अंकुर श्रीवास्तव ने वित्तीय नियमों की गंभीर अवहेलना की थी। उन्होंने न केवल बिना सरकारी आदेश के निर्माण सामग्री वितरित की, बल्कि इसके लिए संबंधित विभाग से अनुमति भी प्राप्त नहीं की थी। यह पाया गया कि उनके इस कदम से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ और सरकारी प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ।
बर्खास्तगी और वसूली के आदेश
गंभीर आरोपों के चलते उत्तर प्रदेश सरकार ने अंकुर श्रीवास्तव को जल निगम से बर्खास्त करने का फैसला लिया। इसके अलावा, सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि उनसे 33 लाख 45 हजार 256 रुपये की वसूली की जाएगी। यह वसूली उन फर्मों को दी गई निर्माण सामग्री के भुगतान के रूप में की जाएगी, जिन्हें श्रीवास्तव ने बिना उचित अनुमोदन के आपूर्ति की थी।
आदेश में यह भी कहा गया कि श्रीवास्तव ने अपने पद का दुरुपयोग किया और वित्तीय नियमों की धज्जियां उड़ाई। साथ ही, उन्हें यह आदेश भी दिया गया कि वे गबन की गई राशि को सरकार को वापस लौटाएं।
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