बलिया कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक योगेंद्र बहादुर सिंह की अचानक तबादले की खबर ने न केवल पुलिस विभाग में, बल्कि आम जनता में भी गहरा असर डाला। जब उनकी विदाई की तैयारियाँ हो रही थीं, तब कोतवाली परिसर शांत हो गया। पुलिसकर्मी और आम नागरिक दोनों ही भावुक हो उठे — सभी की आंखें नम थीं, और कई सख्त वर्दीधारी जवान बच्चों की तरह फूट-फूटकर रो पड़े।
सहकर्मियों ने बार-बार कहा, “सर, आपने सिर्फ ड्यूटी नहीं निभाई, परिवार जैसा साथ दिया।” उनका न्यायप्रिय और मानवीय रवैया, उनकी सादगी, सबके दिलों में बस गए थे। लोग यह सोचते रहे: “वर्दी तो बहुत देखी, इंसान कम देखा… और ऐसा अफसर शायद फिर न मिले।”
कोतवाली परिसर में विदाई
जब यह सूचना फैली कि योगेंद्र बहादुर सिंह का तबादला कर दिया गया है और वे लाइन हाजिर किए गए हैं, तो कोतवाली का माहौल पूरी तरह बदल गया। लोग रोये, उन्हें गले लगाया और सम्मान पूर्वक विदा दी। विशेष रूप से, उनका जाना ऐसे अफसर की कमी का एहसास जगाता है जो सिर्फ कानून-व्यवस्था नहीं संभालते, बल्कि समाज की आत्मा से जुड़े होते हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
उभांव थाना की जनता ने भी पूर्व में उनके तबादले पर उन्हें फूल बरसा कर सम्मानित किया था वे सिर्फ अफसर नहीं, समाज के परिजनों की तरह थे। कहा गया: “ऐसा अफसर शायद फिर न मिले।”
तबादले की वजह
कुछ समय पूर्व एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के कार्यकर्ताओं और जिलाधिकारी के बीच तनातनी हुई थी जो बलिया प्रशासन में बड़े विवाद का कारण बनी। एक प्रतिनिधिमंडल ने निजी विद्यालयों में बढ़ी फीस और शिक्षा से जुड़े आठ सूत्रीय मांगों को लेकर जिलाधिकारी से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधियों और जिलाधिकारी के बीच कहासुनी हो गई, और जिलाधिकारी ने योगेंद्र बहादुर सिंह को बुलाकर कार्यकर्ताओं को बाहर निकालने के आदेश दिए।
इससे नाराज एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर धरना शुरू कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक जिलाधिकारी माफी नहीं मांगते और कोतवाल के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, उनके प्रदर्शन का दौर जारी रहेगा। इस बीच, कोतवाल पर कथित दुर्व्यवहार और अभद्रता का आरोप सामने आया, जिसमें कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें घसीट कर ले जाया गया।
स्थिति तनावपूर्ण होने पर पुलिस महकमे ने कार्रवाई करते हुए योगेंद्र बहादुर सिंह को लाइन हाजिर कर दिया। पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह द्वारा राकेश कुमार को नया शहर कोतवाल नियुक्त किया गया। इस कार्यवाही के बाद प्रशासन और पुलिस विभाग में भी विचार-विमर्श शुरू हो गया कि क्या यह कदम उचित था या नहीं… जनता भी इस घटना से गहराई तक प्रभावित हुई।
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