बलिया जिले में बिजली के तार के कारण बच्चों का हादसा: लापरवाही और सुरक्षा के गंभीर सवाल

Breaking News उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के बेल्थरारोड तहसील के सीयर शिक्षा क्षेत्र स्थित चक इमिलिया प्राथमिक स्कूल में शनिवार को एक भयंकर हादसा हुआ। इस हादसे में दो बच्चे बिजली के खंभे से लटकते हुए तार की चपेट में आ गए और गंभीर रूप से झुलस गए। यह घटना न केवल बच्चों की जान को खतरे में डालने वाली थी, बल्कि स्कूल प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही पर भी गंभीर सवाल उठाती है।

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क्या है पूरी घटना

शनिवार को चक इमिलिया प्राथमिक स्कूल के परिसर में दो चचेरे भाई, दीपांशु राजभर (9) और विवेक राजभर (9), स्कूल के आंगन में खेल रहे थे। इसी दौरान वे बिजली के खंभे से लटक रहे तार की चपेट में आ गए और करंट की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गए।

बच्चों की हालत बिगड़ते देख प्रधानाचार्य सुमन सिंह ने तत्काल दौड़कर उन्हें विद्युत पोल से दूर किया। इस कोशिश में प्रधानाचार्य को भी हल्का करंट लग गया, जिससे वह अचेत हो गईं। इस बीच, अन्य शिक्षकों ने दोनों बच्चों को इलाज के लिए सीएचसी भेजा, जहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया। इसके बाद परिजन उन्हें मऊ लेकर चले गए, जहां बेहतर इलाज की व्यवस्था की गई।

बिजली खंभे से लटकते तार का कारण

घटना के कारण का पता तब चला जब यह जानकारी सामने आई कि स्कूल के पास लगे बिजली के खंभे से लटक रही बिजली की तार में करंट आ रहा था। दरअसल, यह तार बिजली निगम द्वारा लगाए गए खंभे से जुड़ी हुई थी, लेकिन तार में कनेक्शन नहीं था। इसके बावजूद, गांव के लोग बिजली के तार को बांस-बल्लियों के सहारे खींचकर इस्तेमाल कर रहे थे। तार में किसी कारणवश कट लग गया था, जिससे करंट आ रहा था। जब दोनों बच्चे खेल रहे थे, तो तार की चपेट में आकर करंट लग गया।

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यह घटना तब घटी जब बच्चों ने स्कूल के पास स्थित बिजली के खंभे की ओर दौड़ते हुए खेलते हुए गलती से लटक रहे तार को छू लिया। स्कूल में लंच ब्रेक के दौरान यह हादसा हुआ, जब दोनों बच्चे अपनी चचेरी बहन और अन्य बच्चों के साथ आंगन में खेल रहे थे।

घटनास्थल पर मौजूद लोग

घटना के समय प्रधानाचार्य सुमन सिंह स्कूल में मौजूद थीं, जिन्होंने बच्चों को बचाने की पूरी कोशिश की, हालांकि उन्हें भी करंट के हल्के झटके लगे, जिससे वह अचेत हो गईं। अन्य शिक्षक भी मौके पर पहुंचे और बच्चों को अस्पताल भेजने के लिए तेजी दिखाते हुए उन्हें तत्काल सीएचसी भेजा।

शिक्षकों ने समय पर इलाज के लिए बच्चों को अस्पताल भेजने की पहल की, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि स्कूल प्रशासन को पहले से विद्युत पोल और उसके आसपास के खतरे का अंदाजा था। इसके बावजूद, कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए थे।

बिजली निगम और सरकारी लापरवाही

स्कूल प्रशासन ने विद्युत पोल और उससे लटकते तारों को लेकर पहले ही बिजली निगम को सूचित किया था। हालांकि, बिजली निगम की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ। यह तार पहले से ही खतरे में था, लेकिन बिजली निगम ने इसे ठीक करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

इतना ही नहीं, यह भी दावा किया गया कि स्कूल में बिजली का कोई कनेक्शन नहीं था, जबकि स्कूल में पंखे और लाइट्स भी लगे हुए थे। इससे यह साफ होता है कि बिजली निगम ने इस खंभे से बिजली की आपूर्ति को न केवल अनधिकृत तरीके से किया था, बल्कि उसका रखरखाव भी बेहद लापरवाह था।

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स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी

घटना के बाद, खंड शिक्षा अधिकारी सुनील चौबे ने इस हादसे की जानकारी ली और घटनास्थल का मुआयना किया। उन्होंने बताया कि स्कूल में बिजली के पोल पर खींची गई केबल के कटने से करंट का खतरा पैदा हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल प्रशासन ने बिजली निगम को पहले ही इस खतरे से अवगत कराया था, लेकिन बिजली निगम की लापरवाही के कारण हादसा हुआ।

खंड शिक्षा अधिकारी ने यह भी कहा कि स्कूल में बिजली पोल से बच्चों के संपर्क में आने को लेकर शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। उनके अनुसार, हादसे के समय प्रधानाचार्य सुमन सिंह और सहायक अध्यापिका राशि गुप्ता स्कूल में मौजूद थीं, और प्रधानाचार्य ने बच्चों को बचाने की पूरी कोशिश की थी।

हालांकि, यह भी सामने आया कि तैनात पांच शिक्षकों में से एक छुट्टी पर था, जबकि दो शिक्षामित्र बिना किसी सूचना के अनुपस्थित पाए गए थे। खंड शिक्षा अधिकारी ने यह भी कहा कि इन शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि वे स्कूल में नहीं थे और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में लापरवाह थे।

सरकारी अधिकारियों की प्रतिक्रिया

घटना की सूचना मिलते ही, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीष सिंह मऊ अस्पताल पहुंचे और घायलों को बेहतर इलाज के लिए तत्काल व्यवस्था की। उन्होंने बच्चों के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी और मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों से संपर्क किया।

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