बलिया, 7 सितंबर 2025: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाणपत्रों के नाम पर फर्जीवाड़ा करने के मामले में प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 11 लोगों पर फर्जी प्रमाणपत्र बनाने और उसका उपयोग करके नीट परीक्षा (NEET) में अनुचित लाभ प्राप्त करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मामला एक चौंकाने वाले तरीके से सामने आया, जब चिकित्सा शिक्षा विभाग के निर्देश पर अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच की गई।
नीट परीक्षा मे फर्जी प्रमाणपत्र उपयोग करने का आरोप
यह मामला तब सामने आया, जब उत्तर प्रदेश नीट यूजी 2025 के पहले चक्र की काउंसलिंग के बाद अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया गया। इस दौरान यह पाया गया कि कुछ अभ्यर्थियों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाणपत्र का इस्तेमाल कर NEET परीक्षा में कोटे का लाभ उठाने की कोशिश की थी। लेकिन जब इन प्रमाणपत्रों की जांच की गई, तो चौंकाने वाले खुलासे हुए।
जांच के दौरान यह सामने आया कि प्रमाणपत्र जिलाधिकारी कार्यालय बलिया से जारी नहीं किए गए थे। इन प्रमाणपत्रों पर जिलाधिकारी के नकली हस्ताक्षर और मुहर भी थी, जो जालसाजों के द्वारा बनाई गई थीं। यह खुलासा होते ही प्रशासन ने तत्काल कदम उठाए और तहसीलदार सदर, अतुल हर्ष की शिकायत पर 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
फर्जीवाड़े का तरीका:
यह फर्जीवाड़ा इस तरीके से किया गया था कि जालसाजों ने जिलाधिकारी के नाम से नकली प्रमाणपत्र तैयार किए थे, जो नजर में वास्तविक प्रतीत हो रहे थे। प्रमाणपत्र पर जिलाधिकारी के हस्ताक्षर और कार्यालय की मुहर की नकली कॉपी का इस्तेमाल किया गया था, जिससे यह भ्रम पैदा हो गया कि ये प्रमाणपत्र वैध हैं। इसके बाद इन प्रमाणपत्रों का उपयोग कर छात्रों ने नीट परीक्षा में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित कोटे का लाभ लेने की कोशिश की थी।
चौंकाने वाली बात यह रही कि इन फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए प्राप्त करने की कोशिश की गई सीटों पर प्रवेश शुल्क भी जमा किया गया था। अगर समय रहते इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश नहीं हुआ होता, तो यह छात्र असली हकदारों की सीट पर कब्जा कर लेते।
पुलिस की कार्रवाई:
इस मामले में पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 11 अभ्यर्थियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। एएसपी (एडिशनल एसपी) व सीओ सीटी, श्यामकांत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि पुलिस अभ्यर्थियों के साथ-साथ प्रमाणपत्र बनाने वाले जालसाजों की तलाश कर रही है।
उन्होंने कहा कि इन छात्रों पर अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने का आरोप है, और उनकी जांच की जा रही है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
प्रशासन का रुख:
बलिया जिले के जिलाधिकारी ने इस फर्जीवाड़े को गंभीरता से लिया है और मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है। इस जांच टीम की अध्यक्षता अपर जिलाधिकारी ने की, और इसमें चार सदस्यीय टीम को शामिल किया गया। 7 सितंबर को इस जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें यह पाया गया कि जो प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए गए थे, वे जिलाधिकारी कार्यालय बलिया से जारी नहीं थे। प्रमाणपत्रों की असलियत को जानने के बाद जिलाधिकारी ने तहसीलदार सदर को तहरीर देने का आदेश दिया।
यूपी चिकित्सा शिक्षा विभाग की कार्रवाई:
महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण उत्तर प्रदेश के निर्देश पर, यूपी नीट यूजी 2025 के प्रथम चक्र की काउंसलिंग के बाद अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की सत्यता की जांच की गई थी। यह जांच इस मामले को उजागर करने का मुख्य कारण बनी। इस प्रकार के सत्यापन से यह साबित हो गया कि अभ्यर्थियों के द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में धांधली की गई थी, जिससे यह मामला प्रकाश में आया।
जालसाजी के पीछे गिरोह का शक:
अभी तक की जांच के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि प्रमाणपत्र बनाने वाले जालसाज अकेले थे या कोई संगठित गिरोह था। हालांकि, यह निश्चित है कि इन प्रमाणपत्रों का निर्माण एक संगठित तरीके से किया गया था, क्योंकि अधिकांश अभ्यर्थियों के पते भी फर्जी थे। अब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि ये दस्तावेज किसने तैयार किए और इनका मकसद क्या था।
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