रेलवे स्टेशन पर बरामद 1.80 करोड़ रुपये: आयकर विभाग की जांच और गिरफ्तारी

रेलवे स्टेशन पर एक बड़ी रकम की बरामदगी से संबंधित एक नया मामला सामने आया है, जिसमें साबरमती-दरभंगा एक्सप्रेस से दो ट्रॉली बैग में 1.80 करोड़ रुपये की भारी नकदी पकड़ी गई है। इस घटना में गिरफ्तार किए गए आरोपी ओमप्रकाश चौधरी, जो सारण जिले के निवासी हैं, से देर रात तक आयकर विभाग और जीआरपी (जीआरपी) पुलिस ने पूछताछ की। यह मामला न केवल भारी रकम की बरामदगी के कारण सुर्खियों में आया, बल्कि इसमें सामने आई जानकारी भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बनी।

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मामले की शुरुआत

साबरमती-दरभंगा एक्सप्रेस से यह भारी रकम 22 जुलाई को बरामद की गई। जब दो ट्रॉली बैग में बंधी हुई नकदी ट्रेन के एक कोच से मिली, तो सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत इसकी सूचना जीआरपी को दी। इस राशि को लेकर सवाल उठने लगे, और यह कयास लगाए जाने लगे कि यह पैसा किस उद्देश्य से लाया जा रहा था और इसका वास्तविक मालिक कौन है। आयकर विभाग के अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इस मामले की जांच शुरू की।

आयकर विभाग के अधिकारी राजेश कुमार, जो वाराणसी के उपनिदेशक (जांच) हैं, की अगुवाई में एक तीन सदस्यीय टीम ने जीआरपी थाने में ओमप्रकाश चौधरी से पूछताछ की। ओमप्रकाश ने पूछताछ के दौरान कई बार अपने बयान बदलने की कोशिश की, जिससे शक गहरा गया कि वह पूरी सचाई नहीं बता रहा था। पहले तो उसने कहा कि वह यह पैसा ट्रक खरीदने के लिए लेकर जा रहा था, फिर उसने दावा किया कि यह रकम जमीन खरीदने के लिए थी। हालांकि, उसकी बातों में कोई स्पष्टता नहीं थी और यह साबित हो गया कि वह किसी और उद्देश्य के लिए यह रकम लेकर जा रहा था।

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आरोपी का बयान और संदेह

ओमप्रकाश चौधरी ने पूछताछ के दौरान बताया कि वह झांसी के रास बिहार कॉलोनी में किराए का कमरा लेकर ट्रांसपोर्ट और जमीन खरीद-फरोख्त का कारोबार करता है। जब उससे यह पूछा गया कि इतनी बड़ी रकम क्यों लेकर जा रहे हैं, तो उसने पूरी जानकारी देने से इनकार किया। उसकी बातों से यह साफ नहीं हो पाया कि आखिर वह यह पैसा कहां से लेकर जा रहा था और किसके लिए ले जा रहा था।

इसके अलावा, जब अधिकारियों ने बैग से निकाली गई रकम के बारे में जानकारी हासिल की, तो यह पता चला कि बैग में जो पैसे थे, वे सभी पांच सौ रुपये के नोट थे। यह भी देखा गया कि पैसे के पैकिंग में कोई ऐसी विशेषता नहीं थी, जिससे यह साबित हो सके कि वह किसी वैध या कानूनी व्यापार का हिस्सा थे।

आरोपी ने यह भी स्वीकार किया कि उसके पास जो पैसा था, वह व्यापारिक गतिविधियों के लिए था, लेकिन उसकी इस दलील पर सवाल उठने लगे। कई अधिकारी इस बात को लेकर संदेह जता रहे थे कि यह पैसा किसी और उद्देश्य के लिए हो सकता है। खासकर बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए, यह आशंका जताई जा रही थी कि यह पैसा चुनावी साजिशों से जुड़ा हो सकता है।

चुनावी संदेह और सुरक्षा एजेंसियों का अलर्ट

बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, और ऐसे में यह आशंका जताई गई कि यह भारी रकम चुनाव में इस्तेमाल होने के लिए भेजी जा रही थी। सुरक्षा एजेंसियों ने इस पर गहरी नजर डालते हुए जांच को और तेज कर दिया। चुनावी मौसम में इस तरह की बड़ी रकम की आवाजाही किसी बड़े राजनीतिक उद्देश्य के तहत हो सकती है, जिससे चुनावी धांधली या भ्रष्टाचार का अंदेशा बढ़ गया है।

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सुरक्षा अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया और क्षेत्रीय पुलिस को इस संदर्भ में अलर्ट कर दिया। बलिया जिले के क्षेत्राधिकारी सविरत्न गौतम ने बताया कि आने वाले दिनों में बलिया से होकर बिहार जाने वाली लंबी दूरी की ट्रेनों में सघन चेकिंग अभियान चलाया जाएगा ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

पहले भी हुईं थीं बड़ी बरामदगियां

यह कोई पहला मामला नहीं है जब रेलवे स्टेशन पर इस तरह की बड़ी रकम बरामद की गई हो। दिसंबर 2024 में जीआरपी ने 29 लाख रुपये की राशि पकड़ी थी, और फिर फरवरी 2025 में भी करीब 45 लाख रुपये की राशि बरामद की गई थी। हालांकि, इन दोनों मामलों में भी अधिकारियों को यह नहीं पता चला कि यह पैसा किसे भेजा जा रहा था और यह कहां से आया था।

इन्हीं कारणों से आयकर विभाग ने इस मामले को और गंभीरता से लिया और ओमप्रकाश चौधरी से और भी गहन पूछताछ की। इसके बाद विभाग ने यह फैसला लिया कि झांसी और छपरा में आगे की जांच की जाएगी ताकि इस राशि के स्रोत और उसके असली मालिक के बारे में और अधिक जानकारी हासिल की जा सके।

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