बलिया में DM प्रवीण कुमार लक्षकार ने होली की तिथि और होलिका दहन का ऐलान किया

बलिया में DM प्रवीण कुमार लक्षकार ने होली की तिथि और होलिका दहन का ऐलान किया

उत्तर प्रदेश के बलिया में होली की तिथि को लेकर अंसमझी दूर, जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार के आदेशानुसार होलिका दहन 13 मार्च और रंगभरी होली 14 मार्च को मनाई जाएगी। जानें होली के इस विशेष पर्व के महत्व और तिथियों के बारे में।

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होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख और उल्लासपूर्ण त्यौहार है, जिसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से रंगों, मिठाइयों, और उमंगों का प्रतीक है। होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक होता है, और इसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हालांकि, हर वर्ष इसकी तिथि में भिन्नता हो सकती है, और इस कारण से कई बार लोग इस पर्व की सही तिथि को लेकर संशय में पड़ जाते हैं।

बलिया मे होली और होलिका दहन कब है ?

वर्ष 2025 में होली की तिथि को लेकर जो अंसमजस था, उसे दूर करते हुए उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के जिलाधिकारी, प्रवीण कुमार लक्षकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उनके आदेशानुसार, इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च को होगा और रंगभरी होली 14 मार्च को मनाई जाएगी। यह निर्णय जिले के नागरिकों के लिए खुशखबरी लेकर आया है, क्योंकि अब वे सही तिथि पर होली का आनंद ले सकेंगे और होलिका दहन तथा रंगों के पर्व को धूमधाम से मना सकेंगे।

होलिका दहन का पर्व बुराई को नष्ट करने और अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह रात को मनाया जाता है, जिसमें लोग एक बड़ी होलिका की आग जलाते हैं और उसके चारों ओर परिक्रमा करते हैं। यह परंपरा राक्षसी होलिका के जलने की घटना को याद दिलाती है, जब प्रह्लाद के प्रति होलिका की बुरी भावना नष्ट हुई थी।

वहीं, रंगभरी होली दूसरे दिन, अर्थात् 14 मार्च को मनाई जाएगी। रंगों के इस पर्व में लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं, गुलाल उड़ाते हैं, और मस्ती में झूमते हैं। यह दिन मित्रता और प्यार को बढ़ावा देने वाला होता है। रंगों के साथ यह पर्व हर किसी के चेहरे पर हंसी और खुशी की लहर लेकर आता है। इस दिन को लेकर हर उम्र के लोग उत्साहित होते हैं, खासकर बच्चे जो नए रंगों और पानी वाली बंदूकें के साथ होली खेलने का आनंद लेते हैं।

बलिया जिले में होली की तिथि को लेकर पहले कुछ भ्रम था, लेकिन जिलाधिकारी के आदेश ने इस स्थिति को स्पष्ट कर दिया है। अब लोग निश्चित रूप से 13 मार्च को होलिका दहन और 14 मार्च को रंगों के उत्सव का हिस्सा बन सकेंगे। इस आयोजन में लोग न केवल एक-दूसरे से मिलकर रंग खेलते हैं, बल्कि पारंपरिक पकवानों का आनंद भी लेते हैं, जैसे कि गुझिया, ठंडाई, और अन्य मिठाइयाँ।

इसके अलावा, इस बार होली का पर्व विशेष रूप से महत्व रखता है, क्योंकि लोग इसे कोरोना महामारी के बाद अधिक खुशी और उत्साह के साथ मनाएंगे। लॉकडाउन और प्रतिबंधों के कारण पिछले कुछ वर्षों में होली का उत्सव सीमित था, लेकिन अब लोग पूरी तरह से इसे मनाने के लिए तैयार हैं।

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